पंजाब के जालंधर में स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय (आरपीओ) के खिलाफ राज्य सभा सांसद संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने केंद्रीय सरकार को शिकायत भेजी है। इस शिकायत में उन्होंने कार्यालय में व्याप्त बुरी व्यवस्था और भ्रष्टाचार की ओर ध्यान आकर्षित किया है। उल्लेखनीय है कि जालंधर आरपीओ पहले भी केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई के रडार पर रह चुका है, जिसने भ्रष्टाचार के कारण 16 फरवरी को छापेमारी करके क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी अनूप सिंह और उनके दो सहायकों को गिरफ्तार किया था। संत सीचेवाल ने कहा कि इस भ्रष्टाचार के चलते आम जनता को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे केंद्र सरकार की छवि भी प्रभावित हो रही है।
जालंधर में पासपोर्ट कार्यालय में लोग बड़ी संख्या में नए पासपोर्ट के लिए आवेदन करते हैं, साथ ही नवीनीकरण और सुधार के लिए भी आते हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया में उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कार्यालय के कर्मचारियों का ग्राहकों के प्रति रवैया बेहद निराशाजनक है, जिससे लोगों को न सिर्फ समय बर्बाद होता है, बल्कि उनकी समस्याओं का समाधान भी नहीं हो पाता। संत सीचेवाल का कहना है कि केंद्र सरकार के प्रयासों के बावजूद, जालंधर के पासपोर्ट कार्यालय में नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।
भ्रष्टाचार की अनदेखी और कार्यालय के बाहर एजेंटों की सक्रियता ने स्थिति को और खराब कर दिया है। सीबीआई छापे के बाद कुछ दिनों के लिए पासपोर्ट कार्यालय का माहौल थोड़ा सुधरा था, लेकिन अब फिर से आम लोगों की परेशानियाँ बढ़ गई हैं। लोग बिना किसी कारण कार्यालय में चक्कर काटने के लिए मजबूर हैं। ऐसी स्थिति को देखते हुए सीचेवाल ने शिकायत में तीन विशेष मामलों का जिक्र किया है, जो उनकी चिंताओं को और स्पष्ट करते हैं।
पहला मामला एक परिवार का है जो फ्रांस से भारत आया था और उनके बच्चे का पासपोर्ट नवीनीकरण के लिए आवेदन किया गया था। पासपोर्ट कार्यालय ने आश्वासन दिया था कि एक सप्ताह में पासपोर्ट जारी होगा, लेकिन एक महीने बीतने के बाद भी पासपोर्ट नहीं मिला। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने लगी। दूसरा मामला विदेश में फंसे भारतीयों का है, जिनकी वापसी के लिए पासपोर्ट कार्यालय से संपर्क किया जाता है। लेकिन, कार्यालय का जवाब समय पर नहीं मिलता, जिससे कई लोग महीनों तक विदेश में फंसे रहते हैं।
तीसरा मामला सुल्तानपुर लोधी के 11 वर्षीय बच्चे का है, जिसे पासपोर्ट बनवाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। उसे काम कराने के लिए 65 हज़ार रुपये की मांग की गई थी। संत सीचेवाल ने जब हस्तक्षेप किया तो पासपोर्ट महज़ एक हफ्ते में उसे मिल गया। इस प्रकार मामलों की ताजगी और जालंधर पासपोर्ट कार्यालय की स्थिति को देखकर यह स्पष्ट है कि यदि इस व्यवस्था में सुधार न किया गया, तो आम लोग हमेशा इसी तरह की परेशानियों का सामना करते रहेंगे।