पंजाब उपचुनाव: बीजेपी ने चारों हलकों में प्रभारी नियुक्त, गिद्दड़बाहा की कमान अविनाश खन्ना के हाथ!

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पंजाब में चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी ने इन चुनावों के लिए प्रभारी और सह प्रभारी भी नियुक्त कर दिए हैं, ताकि चुनावी रणनीति को मजबूती प्रदान की जा सके। भाजपा ने गिद्दड़बाहा निर्वाचन क्षेत्र के लिए अविनाश राय खन्ना को प्रभारी और दियाल सिंह सोढ़ी को सह-प्रभारी की जिम्मेदारी दी है। इसी क्रम में बरनाला के लिए मनोरंजन कालिया को इंचार्ज जबकि जगमोहन सिंह राजू को को-इंचार्ज के रूप में नियुक्त किया गया है। चब्बेवाल विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी श्वेत मलिक को सौंपी गई है, जबकि परमिंदर सिंह बराड़ को सह-इंचार्ज बनाया गया है।

डेरा बाबा नानक निर्वाचन क्षेत्र की कमान अश्वनी शर्मा को सौपी गई है, जबकि राकेश राठौर को सह-प्रभारी के रूप में नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही, अनील सरीन को सोशल मीडिया का प्रभारी बनने की जिम्मेदारी दी गई है। भाजपा द्वारा जारी आदेश के अनुसार, ये उपचुनाव डेरा बाबा नानक (गुरदासपुर), चब्बेवाल (होशियारपुर), गिद्दड़बाहा (श्री मुक्तसर साहिब) और बरनाला (संगरूर) सीटों पर संचालित होंगे। ये चारों सीटें उन विधायकों की हैं, जिन्होंने हाल में लोकसभा चुनावों में जीतकर सांसद बनने के बाद अपने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है, और विधानसभा स्पीकर ने उनकी इस्तीफे को मंजूर भी कर लिया है।

इन चारों सीटों पर चुनाव की प्रक्रिया कभी भी शुरू हो सकती है, और यही कारण है कि सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावी मैदान में सक्रियता बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता राजकुमार चब्बेवाल होशियारपुर, कांग्रेस के नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा गुरदासपुर, अमरिंदर सिंह राजा वरिंग लुधियाना तथा गुरमीत सिंह मीत हेयर संगरूर से सांसद बने हैं। सभी पार्टियों ने अपनी पूरी मेहनत और रणनीति के साथ चुनाव में भागीदारी करने का निर्णय लिया है, जिससे सीटों पर कब्जा बनाने की जद्दोजहद तेज हो गई है।

भाजपा की ये सक्रियताएँ दिखाती हैं कि पार्टी आगामी उपचुनावों में जीतने के लिए कितनी गंभीरता से योजना बना रही है। भाजपा की पूरी कोशिश है कि वह अपने नए उम्मीदवारों के जरिए मतदाताओं तक पहुंचे और उनकी समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करें। दूसरी तरफ, अन्य राजनीतिक दल भी अपने अपने स्तर पर तैयारी में जुटे हैं, जिससे ये चुनाव अधिक प्रतिस्पर्धात्मक बनेंगे। इसके अलावा, चुनाव प्रचार में सोशल मीडिया की भूमिका बढ़ाने के लिए भाजपा ने विशेष रूप से सोशल मीडिया इंचार्ज की भी नियुक्ति की है।

इस प्रकार, पंजाब में ये उपचुनाव केवल चुनावी प्रक्रिया नहीं, बल्कि राजनीतिक सत्ता और पहचान की लड़ाई बन गए हैं। सभी पार्टियाँ अपने नेटवर्क का उपयोग कर मतदाताओं से जुड़ने और उन्हें अपने पक्ष में करने का प्रयास करेंगी, जिससे आने वाले दिनों में राजनीतिक माहौल और भी गर्माने की संभावना है।