आज (बुधवार) पंजाब सरकार और किसानों के बीच कृषि नीति पर एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। यह बैठक पंजाब भवन, चंडीगढ़ में कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस बैठक में किसानों ने अपनी मांगों और सुझावों के साथ भाग लिया, जिसमें सरकार को 24 महत्वपूर्ण सुझाव पेश किए गए। कृषि मंत्री ने आश्वासन दिया कि इन सुझावों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा, साथ ही पंचायत चुनाव की आचार संहिता लागू होने के कारण किसानों के साथ फिर से बैठक आयोजित की जाएगी।
भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां और खेत मजदूर यूनियन के बैनर तले किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल इस बैठक में उपस्थित था। किसानों ने सरकार के समक्ष कृषि नीति की कुछ सकारात्मक पहलुओं और खामियों के बारे में विस्तार से चर्चा की। जोगिंदर सिंह उगराहां, जो कि किसान नेताओं में से एक हैं, ने कहा कि हमारी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि किसान बेहतर तरीके से कृषि कार्य कर सकें। उन्होंने बताया कि किसानों को प्रारम्भिक रूप से नीति की कॉपी समय पर मिली थी, जिसके बाद उन्होंने न केवल खुद स्टडी की, बल्कि विशेषज्ञों से भी अनुशंसा जुटाई।
किसान प्रतिनिधियों ने इस मीटिंग के दौरान कृषि नीति में सुझाए जाने वाले सुधारों पर जोर दिया। जोगिंदर सिंह ने कहा कि बैठक में काफी विस्तार से चर्चा हुई और उन्हें विश्वास है कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान देगी। यह पहली बार नहीं हुआ है कि पंजाब में किसानों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया है, बल्कि इससे पहले सितंबर माह में भी पंजाब विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान किसान चंडीगढ़ पहुंचे थे। 15 साल बाद, चंडीगढ़ प्रशासन ने किसानों को शर्तों के साथ अपने विचार प्रकट करने की अनुमति दी थी, जिसके चलते उन्होंने सेक्टर-34 से मटका चौक तक एक मार्च भी निकाला था।
किसानों को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए बार-बार संगठित होने की आवश्यकता है, ताकि उनकी आवाज़ सरकार तक पहुंच सके। इस बैठक को लेकर राज्य की राजनीतिक और कृषि जगत की नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि इस पॉलिसी में सुधार केवल किसानों के लिए नहीं, बल्कि राज्य के समग्र कृषि विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। अब देखना यह है कि क्या सरकार किसानों के सुझाए गए उपायों को स्वीकार करती है और उन्हें अमल में लाने के लिए ठोस कदम उठाती है।