फाजिल्का में सरपंच चुनाव में बवाल: नामांकन के दौरान बवाल, 7 के खिलाफ FIR दर्ज

Share

फाजिल्का के गांव जमालके में पंचायत चुनाव के लिए सरपंच उम्मीदवारों की फाइलें फाड़ने के मामले में पूर्व सरपंच समेत सात व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की गई है। जलालाबाद सिटी थाना में इस संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिससे आगे की जांच की प्रक्रिया जारी है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, जब सरपंच उम्मीदवारों ने अपने नामांकन पत्र भरे, तब कुछ व्यक्तियों ने धमकाते हुए उनके दस्तावेजों को फाड़ डाला।

इस घटना के पीछे का एक अन्य पहलू यह है कि गांववालों ने फाजिल्का के जिला उपायुक्त के कार्यालय के सामने किसान यूनियन के साथ मिलकर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन का उद्देश्य गांव जमालके के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना और चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करना था। चुनाव में भाग लेने के लिए सुखदेव सिंह ने जब अपनी फाइलें जमा करने का प्रयास किया, तब विरोधी पक्ष के सदस्यों ने उनके दस्तावेज छीनकर फाड़ दिए। इसके बावजूद प्रशासन के साथ वार्ता के बाद, उन्हें फिर से फाइलें जमा करने की अनुमति दी गई, हालांकि अभी प्रशासन का कहना है कि अब वह फाइलें गायब हो गई हैं।

इसांध्रपुष्पा रानी, जो एक महिला उम्मीदवार हैं, ने भी इस सरेआम धक्केशाही का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि जब वे अपना नामांकन पत्र भरने गईं, तब शरारती तत्वों ने उनकी फाइल को फाड़ दिया। इस प्रकार, उन्हें चुनावी प्रक्रिया में बाधा डालने का सामना करना पड़ा। इस मामले में पुलिस ने संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करते हुए पूर्व सरपंच राजेंद्र सिंह उर्फ राणा, गुरविंदर सिंह, राजवीर सिंह, कुलवंत सिंह, जगनाम सिंह, गुरजीत सिंह और गुरप्रीत सिंह के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।

मुकदमे में कुछ अज्ञात व्यक्तियों को भी नामित किया गया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह मामला केवल कुछ व्यक्तियों द्वारा नहीं, बल्कि एक संगठित धक्केशाही का परिणाम हो सकता है। ऐसे में पुलिस को इस घटना की पूरी तहकीकात करनी होगी, ताकि आरोपियों को उचित सजा दी जा सके और भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।

गांव जमालके में हुई इस विवादास्पद घटना ने पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। स्थानीय निवासियों ने चुनाव से पहले इस प्रकार की हिंसा और धक्केशाही को लोकतंत्र की आधारभूत अवधारणा के खिलाफ बताया है। इन घटनाओं को देखते हुए प्रशासन को चाहिए कि वह जल्द ही ठोस कदम उठाए और सुनिश्चित करे कि सभी उम्मीदवारों को निष्पक्षता से चुनाव में भाग लेने का अवसर मिले।