27 साल बाद नियुक्त रशियन शिक्षक, 2024 तक होंगे 101 पद भरे!

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पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) के रशियन विभाग में 27 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद अब एक स्थायी शिक्षक की नियुक्ति की गई है। इसके अलावा, संस्कृत, पंजाबी और वैदिक अध्ययन सहित छह अन्य विभागों में भी नए शिक्षकों ने कार्यभार संभाल लिया है। ये नियुक्तियाँ 2022 में जारी विज्ञापन के अंतर्गत हो रही हैं, जिसमें पीयू में कुल 101 स्थायी शिक्षकों के पदों को भरने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। रशियन विभाग में प्रोफेसर पंकज की 1995 में नियुक्ति के बाद से कोई स्थायी शिक्षक नहीं था। प्रो. पंकज के सेवानिवृत्त होने के बाद जुलाई 2023 में एक असिस्टेंट प्रोफेसर ने विभाग में जॉइन किया। इसके पूर्व विभाग को उर्दू विभाग के प्रोफेसर अली अब्बास ने संभाला था।

पंजाब विश्वविद्यालय में अन्य कला और भाषा विभाग भी शिक्षक की कमी की समस्या से प्रभावित हैं। इनमें फ्रेंच, चाइनीज और भारतीय थियेटर प्रमुख हैं। शिक्षकों की कमी से विश्वविद्यालय का समग्र विकास प्रभावित हो रहा है। एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने बताया कि नियमित शिक्षक की अनुपस्थिति के कारण शिक्षण और अनुसंधान परियोजनाओं, पीएचडी कार्यक्रमों और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों का आयोजन करना कठिन हो रहा है। गेस्ट फैकल्टी द्वारा किए जा रहे कार्यों में सीमित योगदान के कारण रिसर्च और विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

पंजाब विश्वविद्यालय में कुल 1378 स्वीकृत शिक्षकीय पद हैं, जिनमें से केवल 640 भरे हुए हैं। इस प्रकार, 700 से अधिक पद अब भी खाली हैं। हाल ही में कई विभागों में सेवानिवृत्ति के मामलों के कारण ये संख्या और भी बढ़ गई है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, कुलपति प्रो. रेनू विग ने जानकारी दी कि 2024 के अंत तक 2022 में जारी विज्ञापन के तहत 53 पदों की भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद, 2023 में निकाले गए दो अन्य विज्ञापनों के तहत भी 48 शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी।

इन नियुक्तियों के परिणामस्वरूप, पंजाब विश्वविद्यालय में स्थायी शिक्षकों की संख्या 700 से अधिक होने की उम्मीद है। यह महत्वपूर्ण बदलाव न केवल शिक्षकों की कमी को दूर करेगा, बल्कि विश्वविद्यालय के शिक्षण और अनुसंधान स्तर को भी बेहतर बनाएगा। इससे छात्रों की शिक्षा और अन्य अकादमिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, जो कि एक स्वस्थ शैक्षणिक माहौल के लिए आवश्यक है। कुल मिलाकर, यह फैसले पीयू की शैक्षणिक गुणवत्ता को सुधारने और संस्थान की विकास यात्रा को गति देने में सहायक सिद्ध होंगे।