हिमाचल प्रदेश के मंडी से सांसद कंगना रनोट के बयानों ने पंजाब की राजनीति में हलचल मचा दी है। कंगना के उग्र बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद मालविंदर सिंह कंग ने टिप्पणी की है कि उनके बोलने के तरीके से ऐसा लगता है कि कहीं वह खुद नशे की लतीफ नहीं हैं। सांसद कंग ने यह भी कहा कि कंगना का नशे की समस्या पर बयान देना और इसके लिए पड़ोसी राज्यों को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है। उनका कहना है कि हाल के दिनों में सबसे अधिक नशा गुजरात में पकड़ा गया है, जबकि वहां भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) की सरकार है।
मालविंदर का आरोप है कि कंगना अक्सर पंजाब और हिमाचल प्रदेश में नशे के मुद्दे को लेकर नफरत फैलाने वाले बयानों का सहारा लेती हैं। उन्होंने जेपी नड्डा से अपील की है कि कंगना के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए और उनकी वास्तविकता जनता के सामने आनी चाहिए। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी, जहां उन्होंने कंगना के हालिया बयानों की कड़ी आलोचना की और उनके डोप टेस्ट की मांग की। उनका मानना है कि कंगना जानबूझकर पंजाबियों की छवि को खराब करने की कोशिश कर रही हैं।
कंगना ने अपने बयानों में कहा कि उनके पड़ोसी राज्य से विभिन्न नशीले पदार्थों का असर पंजाब के युवाओं पर पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि युवा अपने जीवन में इन नशों का सेवन कर रहे हैं और इससे समाज में विकृति आ रही है। कंगना द्वारा कही गई बातों में यह भी शामिल था कि लोगों को नशे की आदतों से दूर रहने का संकल्प लेना चाहिए और अपनी सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।
कंगना ने देश की संस्कृति और ग्रामीण जीवनशैली की संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि युवाओं को बाहरी प्रभावों से बचाने के लिए सजग रहना चाहिए। हालांकि, उनके विवादास्पद बयान और सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट ने उन्हें बार-बार विवादों में शामिल किया है, जिसके चलते उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। अब देखना यह है कि क्या अन्य राजनैतिक दल इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई करते हैं या फिर मामला इसी तरह बढ़ता रहेगा।
कुल मिलाकर कंगना रनोट के बयानों ने राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है, जहां आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला कहीं न कहीं हिमाचल प्रदेश और पंजाब के सामाजिक ढांचे को प्रभावित कर रहा है। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या इस विषय पर कोई सामूहिक समाधान निकाला जा सकता है या यह केवल राजनीतिक ड्रामा बनकर रह जाएगा।