बाल संरक्षण आयोग ने 60 प्रतिशत शिकायतों का किया निस्तारण : गीता खन्ना

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देहरादून, 16 नवंबर (हि.स.)। उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना ने अपने विभाग के आंकड़े देते हुए बताया कि उनके कार्यकाल में 31 अक्टूबर 2023 तक जो प्रकरण आए हैं उनमें 60 प्रतिशत शिकायतों का निस्तारण कर दिया है। 740 शिकायतों में से 392 शिकायतों का निस्तारण कर दिया है।

गीता खन्ना ने गुरुवार को पत्रकार वार्ता में बताया कि 2015-16 से लेकर 31 अक्टूबर 2023 तक 740 शिकायतें हुई हैं जिनमें 392 का निस्तारण हो गया है। 348 शिकायतें रह गई हैं लेकिन इनके पीछे कई कारण हैं। कुछ न्यायालय में चले गए हैं तथा अन्य कारणों से रुकी हुई हैं। उन्होंने बताया कि पूर्व में प्रचलित पत्रावली 248 थी और वर्तमान में 692 पत्रावलियां प्रचलित हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 से 2023 तक उन्होंने 68 निरीक्षण किए हैं। 2021-22 में छह, 22-23 में 45 और 23-24 में सत्र निरीक्षण हुए हैं। जो संस्तुतियां प्रेषित की गई है उनमें अनुशिक्षण संस्थान हेतु नियमावली तैयार करना, रेस्क्यू किये बाल श्रमिकों के लिए पुनर्वास केंद्र, नशे में लिप्त तथा नशा बेचने वाले बच्चों के लिए पुनर्वास केंद्र तथा एसओपी के क्रियान्वयन के संबंध में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा समस्त विभागों से सर्वोच्च न्यायालय के प्रश्नों के उत्तर और सुझाव प्रेषण उच्च न्यायालय द्वारा जेजे एक्ट, पोक्सो एक्ट से जुड़े हितधारकों हेतु प्रशिक्षण का प्रबंधन जैसी संस्तुतियां शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि आयोग की उपलब्धियों में 7 प्रमुख उपलब्धियां शामिल हैं जिसमें एक प्रतिष्ठित निजी स्कूल द्वारा एक बालक की टीसी देने में हठधर्मिता दिखाई गई थी जो आयोग ने व्यवस्थित कराई।

गीता खन्ना ने बताया कि बाल संरक्षण आयोग उत्तराखंड में नशे और साइबर क्राइम को लेकर काम कर रहा है क्योंकि आज के दौर में ये दोनों ही समस्या हैं जो बच्चों की जिंदगी को खराब कर रही है। इसलिए बेहद जरूरी है कि बच्चों को नशे के प्रति और साइबर क्राइम के प्रति सचेत करना होगा। उन्होंने बताया कि पिछले एक वर्ष में आयोग ने बहुत से महत्वपूर्ण कार्य किए हैं जिसमें बच्चों की बाल विधान सभा का गठन और उसके कार्य, साथ ही बच्चों पर होने वाले शोषण को रोकने के लिए स्कूलों में निरीक्षण अभियान चलाए गए। इसके अलावा आरटीओ से बातचीत कर नाबालिग के वाहन चलाने पर रोक लगाई गई है। रोड सेफ्टी के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं रेस्टोरेंट और होटल में छोटे बच्चों से जो कामकाज कराया जा रहा था उसपर भी रोक लगाने के लिए कार्रवाई की गई है। इसके लिए लगातार आयोग की टीम काम कर रही है। इस बात को सुनिश्चित किया जा रहा है कि बाल श्रम कहीं पर ना हो।