इंदौर की छप्पन दुकान को लगातार तीसरी बार ‘ईट राइट स्ट्रीट फूड हब’ का दर्जा

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04HNAT1 इंदौर की छप्पन दुकान को लगातार तीसरी बार ‘ईट राइट स्ट्रीट फूड हब’ का दर्जा

– इंदौर सराफा की रात्रिकालीन चाट चौपाटी को भी मिला ‘क्लीन स्ट्रीट फूड हब’ का खिताब

इंदौर, 3 नवंबर (हि.स.)। भारत का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर देश-दुनिया के लोगों को स्वादिस्ट व्यंजनों से भी आकर्षित करता है। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने भी शुक्रवार को इस बात पर मुहर लगा दी है। स्वाद के शौकीनों का पसंदीदा स्थान इंदौर की ‘छप्पन दुकान’ को तीसरी बार एफएसएसएआई ने ‘ईट राइट स्ट्रीट फूड हब’ का प्रमाण पत्र दिया है। पहले यह प्रमाण पत्र एफएसएसएआई द्वारा ‘क्लीन स्ट्रीट फूड हब’ के नाम से दिया जाता था। इस बार इसका नाम बदलकर ‘ईट राइट स्ट्रीट फूड हब’ किया गया है।

इस प्रमाण पत्र के लिए एफएसएसएआई की टीम ने 21 सितंबर को फाइनल आडिट किया था। इसमें छप्पन दुकान परिसर में हाइजीन, कर्मचारियों का प्रशिक्षण, फूड टेस्टिंग सहित अन्य पैमानों पर जांच की गई थी।

गौरतलब है कि छप्पन दुकान को वर्ष 2019 में पहली बार ‘क्लीन स्ट्रीट फूड हब’ का खिताब मिला था। इसके बाद वर्ष 2021 में दूसरी बार यह प्रमाण पत्र मिला था। यह प्रमाण दो वर्षो के लिए मान्य रहता है। इंदौर में छप्पन दुकान के अलावा सराफा रात्रिकालीन चाट चौपाटी को भी ‘क्लीन स्ट्रीट फूड हब’ का खिताब मिला है। दूसरी बार इस चौपाटी को ‘ईट राइट स्ट्रीट फूड हब’ का खिताब दिलाने के लिए एफएसएसएआई की टीम द्वारा फाइनल आडिट किया जा चुका है।

2019 में प्रदेश में पहला और देश में दूसरा स्थान मिला था

वर्ष 1977 में नगर निगम द्वारा छप्पन दुकान का निर्माण कराया गया था, जिसे स्मार्ट सिटी ने संवारा और एक नए कलेवर में प्रस्तुत किया। इसके बाद यहां के व्यापारियों ने स्वाद के साथ स्वच्छता को और भी गंभीरता से अपनाया। वर्ष 2019 में पहली बार क्लीन स्ट्रीट फूड हब के रूप में प्रदेश में पहला और देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया।

छप्पन दुकान एसोसिएशन के अध्यक्ष गुंजन शर्मा ने बताया कि पेस्ट कंट्रोल, कच्चे माल की सैंपलिंग, वेटर, रसोइये, दुकानदार द्वारा लिया गया प्रशिक्षण, कर्मचारी का मेडिकल होने के बाद इंटरनल आडिट किया जाता है। इसमें यह भी देखा जाता है कि दुकानदारों के पास फूड लाइसेंस भी होना चाहिए। पहले प्रशिक्षण देने वाली एजेंसी ही आडिट करती है। बाद में बाहर से आया दल भी आडिट करता है। जांच में यह भी देखा जाता है कि रसोई में काम आने वाले किसी भी बर्तन में जंग न लगा हो, इसलिए छूरी भी लोहे की इस्तेमाल नहीं कर सकते। इसके अलावा देखा जाता है कि तेल भी तीन बार से ज्यादा उपयोग में लाया गया नहीं हो, एक ही रेफ्रीजरेटर में शाकाहार और मांसाहार साथ न रखा हो, दुकान के आसपास भी स्वच्छता हो आदि बातों पर ध्यान दिया जाता है।