तंबाकू सेहत के लिए ही नहीं जमीन की उपजाऊ शक्ति के लिए भी खतरा

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24HREG107 तंबाकू सेहत के लिए ही नहीं जमीन की उपजाऊ शक्ति के लिए भी खतरा

– तंबाकू की खेती से मरुस्थलीकरण का खतरा अधिक

– इस वर्ष विश्व तंबाकू निषेध दिवस की थीम है ‘हमें भोजन की आवश्यकता है, तंबाकू की नहीं’

वाराणसी,24 मई (हि.स.)। तंबाकू के दुष्प्रभाव के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व तंबाकू निषेध दिवस का नारा (थीम) है ‘हमें भोजन की आवश्यकता है, तंबाकू की नहीं’।

दुनिया भर में सालाना 35 लाख हेक्टेयर भूमि का उपयोग तंबाकू की खेती के लिए किया जाता है। तंबाकू की खेती के लिए वार्षिक वनों की कटाई का अनुमान लगभग दो लाख हेक्टेयर है। तंबाकू की खेती से जमीन की उपजाऊ शक्ति कम होती है तथा मरुस्थलीकरण का खतरा अधिक होता है। जिससे भविष्य में पूरे विश्व में खाद्यान्न की भारी कमी होने की संभावना है। तंबाकू के सेवन से वातावरण में अनेक हानिकारक पदार्थ पैदा होते हैं। तंबाकू के निर्माण, पैकेजिंग एवं परिवहन से भी पर्यावरण में अनेक प्रकार के प्रदूषण बढ़ते हैं। तंबाकू के कारण हजारों टन जहरीले पदार्थ व ग्रीन हाउस गैसेस पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहीं हैं। तंबाकू की खेती कृषि योग्य भूमि के पोषक तत्वों को हानि पहुंचाती हैं। तंबाकू निर्माण से रसायनिक कचरा पैदा होता है जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान होता है।

विरोधाभास यह है कि भारत में पर्यावरण मंत्रालय तंबाकू उद्योग को अत्यधिक प्रदूषण कारी उद्योग का दर्जा देता है। वही बीड़ी उद्योग को कुटीर उद्योग का दर्जा प्राप्त है। तंबाकू निर्माण इकाईयों से पानी दूषित होता है। सेंट्रल टोबैको रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीटीआरआई) के अनुसार आधा हेक्टेयर तंबाकू की फसल ठीक करने के लिए एक हेक्टेयर जंगल की लकड़ी की आवश्यकता होती है।

सीटीआरआई के अनुसार तंबाकू का उत्पादन करीब तीन हजार लाख किलोग्राम है, एक किलोग्राम तंबाकू के उपयोग लायक बनाने के लिए आठ किलोग्राम लकड़ी की आवश्यकता होती है। एक अनुमान के अनुसार हर वर्ष 24 हजार लाख किलोग्राम लकड़ी तंबाकू ठीक करने हेतु जलती है। तीन सौ सिगरेट तैयार करने के लिए एक पेड़ काटा जाता है। भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा तंबाकू उत्पादक देश है यहां का वार्षिक उत्पादन 757.5 हजार मीट्रिक टन है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तंबाकू छोड़ने का निश्चय करने वालों में से केवल 30 फीसद लोग ही तंबाकू छोड़ने के उपाय को अपनाने में सफल होते हैं। एक अनुमान के अनुसार पूरी दुनिया में प्रति छह सेकेंड पर एक व्यक्ति की मौत का कारण तंबाकू होता है। भारत में तंबाकू सेवन करने वालों की संख्या लगभग 27 करोड़ है। ग्लोबल एडल्ट तंबाकू सर्वेक्षण ( 2016-17) के अनुसार भारत में 42.47 फीसद पुरुष तथा 12.24 फीसद महिलाएं तंबाकू का प्रयोग करती है।

उल्लेखनीय है कि सेकंड हैंड स्मोकिंग जिसमें व्यक्ति स्वयं धूम्रपान नहीं करता। किंतु उसके आसपास के लोगों द्वारा धूम्रपान करने के कारण श्वांस के माध्यम से वे धूम्र ग्रहण करते हैं। सिगरेट व बीड़ी पीने वाले जो धुआं छोड़ते हैं उसमें सामान्य हवा की अपेक्षा तीन गुना ज्यादा निकोटीन, तीन गुना टार एवं 50 गुना अमोनिया होता है। बच्चों में सेकंड हैंड स्मोकिंग के कारण दिल का दौरा पड़ने व स्ट्रोक का खतरा बहुत अधिक रहता है। इससे महिलाओं में बांझपन का भी खतरा बढ़ जाता है। एक अनुमान के अनुसार भारत में 50 फीसद लोग सेकंड हैंड स्मोकिंग के शिकार होते हैं।

एआरटी सेंटर, सरसुंदरलाल हॉस्पिटल, आई एमएस, बीएचयू के वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ मनोज कुमार तिवारी बताते हैं कि व्यक्ति दृढ़ इच्छाशक्ति, परिवार, मित्रों के सहयोग एवं समर्थन, मनोवैज्ञानिकों के उचित परामर्श व मनोचिकित्सा तथा आवश्यक होने पर चिकित्सक द्वारा प्रदत्त दवाई लेकर तंबाकू की लत पर आसानी से विजय प्राप्त कर सकता है।

कैसे छोड़े नशे की लत

सबसे पहले व्यक्ति नशा छोड़ने का पक्का इरादा बनाएं, अचानक से बंद न करके धीरे-धीरे तंबाकू की मात्रा में कमी करें, तंबाकू छोड़ने में परिवार और मित्रों का सहयोग लें, ऐसे लोगों से संपर्क न रखें जो तंबाकू का सेवन करते हैं, तंबाकू की तलब महसूस होने पर मुंह में पिसी हुई काली मिर्च, लौंग, छोटी इलाची, टॉफी, च्यूइंगम का प्रयोग करें, अपने पास में तंबाकू कदापि न रखें, गुनगुने पानी में नींबू का रस व शहद मिलाकर पीने से इसके तलब में कमी आती है।