पूर्वांचल की ”लोक नृत्य संस्कृति” के ”लोक” में खोए रहे खिलाड़ी

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28HREG343 पूर्वांचल की ”लोक नृत्य संस्कृति” के ”लोक” में खोए रहे खिलाड़ी

– खेलो इण्डिया यूनिवर्सिटी गेम्स के अंतर्गत सांस्कृतिक संध्या का दूसरा दिन

गोरखपुर, 28 मई (हि.स.)। खेलो इण्डिया यूनिवर्सिटी गेम्स की रोइंग प्रतियोगिता के दूसरे दिन की शाम पूर्वांचल के खास नृत्य संस्कृति धोबिया के नाम रही। प्रतियोगिता में देशभर से आए खिलाड़ी इस नृत्य की शैली से अचंभित होकर पूर्वांचल के ”लोक” में खो से गए। आज की यह शाम उनके लिए यादगार हो गई।

रामगढ़ताल नौका विहार, स्थित जेट्टी पर उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग की तरफ से रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति में रविवार शाम आजमगढ़ से पधारे केशव पासवान द्वारा धोबिया लोकनृत्य, प्रयागराज की सुश्री प्रीती सिंह द्वारा ढेढ़िया लोकनृत्य तथा स्थानीय लोक गायक प्रभाकर शुक्ल द्वारा लोकगायन की प्रस्तुति की गयी। सभी कलाकारों ने मेहमान खिलाड़ियों, अतिथियों का भरपूर मनोरंजन कराया। नौका विहार पर आने वाले सैकड़ों दर्शकों ने भी सांस्कृतिक संध्या का आनन्द लिया।

प्रभाकर शुक्ल ने खिलाड़ियों के उत्साह एवं सम्मान में मनमोहक गीत सुनाए। ‘‘उगिहें जबले सुरूज-चंदा….””। ‘‘अपनी है दुनिया आज की ….।‘‘ तथा मेरा रंग दे बसंती चोला…….”” पर सभी झूम उठे। इसके बाद अन्य कलाकारों की धोबिया एवं ढेढ़िया लोकनृत्य की अनोखी प्रस्तुति ने सब पर सम्मोहन सा असर दिखाया।

इस दौरान राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर के उप निदेशक व क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र के प्रभारी डाॅ मनोज कुमार गौतम ने कहा कि देश के विभिन्न प्रांतों से आये खेलो इण्डिया के प्रतिभागियों के भरपूर मनोरंजन के लिए लोक परम्पराओं पर आधारित गीत एवं नृत्य की प्रस्तुति की जा रही है। कार्यक्रम का संचालन श्री शिवेन्द्र पाण्डेय ने किया। इस मौके पर राकेश श्रीवास्तव, सदस्य, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, सुभाष दुबे, राकेश सिंह, काशी नरेश चौबे, शंभू गंगवार, अरविंद सिद्धार्थ, रविंद्र सिंह, प्रमोद गुप्ता, चंदन गुप्ता, राजपति पांडेय, गीता पांडेय व अतुल यादव आदि उपस्थित रहे।