29HREG27 मंडी में सब्जी और फल विक्रेताओं के लिए जगह पड़ रही कम
लखनऊ, 29 मई (हि.स.)। लखनऊ की सीतापुर रोड स्थित नवीन गल्ला मंडी में सब्जी और फल विक्रेताओं के लिए जगह कम पड़ने लगी है। पहले से स्थानीय विक्रेता व किसान मंडी में जगह-जगह फैले रहते हैं। ऐसे में बाहर से आने वाले किसानों और फल सब्जी विक्रेताओं को भी गल्ला मंडी आकर अपने माल के अच्छे दाम मिलने के चलते लुभा रहा है, ऐसे में उनके यहां आने पर जगह कम पड़ रही है।
मोहान रोड से बैंगन भरे थैलों को लेकर सोमवार को सुबह पहुंचे किसानों को नवीन गल्ला मंडी अपनी सब्जियां रखने की जगह नहीं मिली। किसान रामप्रकाश, गोपाल ने कहा कि सब्जियों को लेकर आने वाले किसानों में वे अकेले नहीं हैं, बहुत सारे किसान सुबह अपनी पैदावार लेकर मंडी आते हैं। सीतापुर रोड स्थित गल्ला मंडी सबसे अच्छी फल व सब्जी की मंडी है। यहां सुबह कुछ घंटों में सब्जियों का सौदा हो जाता है।
उन्होंने कहा कि उनके बैंगन, मंडी के बाहर मुख्य द्वार पर रखकर ही अढ़तियों के माध्यम से बिक्री कर रहे हैं। किसान ने बताया कि मंडी में पहले आते थे तो सब्जी-फल रखने की जगह मिल जाती थी लेकिन अब तो यहां पांव रखने की जगह नहीं मिल पाती है। आढ़त की संख्या भी बढ़ी है तो बाहर से आने वाले किसानों, विक्रेताओं और खरीदारों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो गयी है।
मंडी में ई-रिक्शा की भरमार
सीतापुर रोड स्थित नवीन गल्ला मंडी में सुबह के वक्त ई-रिक्शा की भरमार होती है। मंडी के भीतर ई-रिक्शा से सब्जी व फल लाने ले जाने की व्यवस्था के मद्देनजर मुख्य मार्गों पर जाम की स्थिति बनी रहती है। इसी तरह बाहर मुख्य द्वार पर ई-रिक्शा की लम्बी कतार के कारण सीतापुर रोड पर जाम की स्थितियां बन जाती है।
किसान होता है परेशान
मंडी में अपने पैदावार व फसल को बेचने के लिए आने वाला किसान ही हर बार परेशान होता है। सुबह के वक्त किसान की सब्जियां व फलों की बिक्री न होने पर जैसे जैसे दिन चढ़ता है, मंडी में भीड़ बढ़ने लगती है और सब्जी फल के मूल्य घटने बढ़ने लगते हैं। मंडी में पैदावार रखने की जगह न मिलने पर बड़ी संख्या में एक ही सब्जियों के मंडी में आने पर भी किसान को बिक्री में परेशानी होती है।
मंडी में सब्जी से ज्यादा फल विक्रेता का दबदबा
मंडी में सब्जी बेचने वाले किसानों, विक्रेताओं से ज्यादा दबदबा फल विक्रेताओं का है। फल विक्रेता मंडी के भीतर और बाहर दोनों ही जगहों पर पूरी तरह से सक्रिय रहते हैं। फल के आढ़तियों के साथ मिलकर फल विक्रेता अपना धंधा जोरो पर करते हैं।