बीएचयू के राजीव गांधी दक्षिणी परिसर में कृषि विज्ञान के छात्रों ने सीखा व्यावसायिक मधुमक्खी पालन

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19HREG434 बीएचयू के राजीव गांधी दक्षिणी परिसर में कृषि विज्ञान के छात्रों ने सीखा व्यावसायिक मधुमक्खी पालन

-विशेषज्ञों ने बताया पालन से रॉयल जैली, मोम एवं पराग भी मिलता है

वाराणसी, 19 अप्रैल (हि.स.)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के राजीव गांधी दक्षिणी परिसर में बीएससी कृषि विज्ञान के विद्यार्थियों को व्यावसायिक मधुमक्खी पालन सिखाया गया। दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में परिसर के आचार्य प्रभारी प्रो. विनोद कुमार मिश्र के मार्गदर्शन में छात्रों को अग्रिकाश प्रायव्हेट लिमिटेड (उदेस हनी फार्म) के पंकज पाठक, रोहित आनंद पाठक और मोहित आनंद पाठक ने प्रशिक्षण दिया। उन्होंने संयुक्त रूप से बताया कि मधुमक्खी के समूह की बात है तो समूह में अक्सर सभी मधुमक्खियां एक जैसी होती हैं और हमें लगता है कि सभी का कार्य भी एक जैसा ही होता होगा, लेकिन यह सत्य नहीं है। मधुमक्खी के एक समूह में मुख्य रूप से तीन तरह की मधुमक्खियां होती हैं इसमें एक रानी मक्खी, सैकड़ों की संख्या में नर मक्खी एवं हजारों की संख्या में मेहनत करने वाली मधुमक्खियां होती हैं। मधुमक्खी पालनद्वारा केवल शहद ही नहीं बल्कि रॉयल जैली, मोम, मधुमक्खी एवं पराग जैसे बहुत से उत्पादन इससे प्राप्त होते है। उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति बहुत ही कम निवेश में इस व्यवसाय की शुरुआत कर सकता है। किसान के लिए यह व्यवसाय किसी आशीर्वाद से कम नहीं। यह मिलने वाले उत्पाद के अलावा मधुमक्खी के गतिविधियों द्वारा किसान फसल-उत्पाद बढ़ाने में मदद करता है।

प्रशिक्षण में प्रो. कार्तिकेय श्रीवास्तव ने बताया कि मधुमक्खी का उपयोग हाइब्रिड सीड प्रोडक्शन में भी किया जाता है। उसके साथ लाखों का मुनाफा लिया जा सकता है। शिविर में डॉ कंचन पडवल, छात्र सलाहकार डॉ आशीष लतारे और अमृतलाल खैरे ने भी छात्रों का ज्ञानवर्धन किया। ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल कोआर्डिनेटर प्रो. आशीष सिंह और कृषि प्रक्षेत्र के अधीक्षक डॉ राजीव त्रिपाठी ने भी आवश्यक जानकारी दी।