प्रदेश में अल्ट्रा मेगा अक्षय ऊर्जा पॉवर पार्क्स की होगी स्थापना

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01HREG14 प्रदेश में अल्ट्रा मेगा अक्षय ऊर्जा पॉवर पार्क्स की होगी स्थापना

-टीएचडीसी और आरआरईसीएल के मध्य 10000 मेगावाट क्षमता के संयुक्त उपक्रम का हुआ एग्रीमेन्ट

ऋषिकेश,01 फरवरी (हि.स.)। भारत सरकार की मिनी रत्न ए-श्रेणी की कम्पनी टीएचडीसी लिमिटेड और राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के मध्य जयपुर में संयुक्त शेयर होल्डिंग एग्रीमेन्ट पर हस्ताक्षर किए गए। टीएचडीसी और आरआरईसी ज्वाइंट वेंचर कंपनी में 74:26 प्रतिशत हिस्से की क्रमश: की भागीदारी होगी।

राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के अध्यक्ष आशुतोष एटी पेडणेकर और प्रबंध निदेशक अनिल ढाका की उपस्थिति में राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के तकनीकी निदेशक डीके शर्मा और टीएचडीसी के चीफ जनरल मैनेजर (सोलर) एसएस पंवार ने उक्त समझौते पर हस्ताक्षर किये।

राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के अध्यक्ष पेडणेकर ने अवगत कराया कि इस ज्वाइंट वेंचर कम्पनी ने प्रदेश में 10,000 मेगावाट क्षमता की अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं प्रदेश के विभिन्न स्थानों में चरणबद्ध रूप से विकसित की जाएगी, जिससे सस्ती अक्षय ऊर्जा की प्राप्ति होगी। पेडणेकर ने टीएचडीसी अधिकारियों के साथ मिलकर फ्लोटिंग सोलर और पम्प स्टोरेज हाइड्रो प्लांट को भी राजस्थान में विकसित कराए जाने के लक्ष्यों पर विचार-विमर्श किया।

पेडणेकर ने बताया कि प्रदेश में स्थापित होने वाले इस अल्ट्रा मेगा अक्षय ऊर्जा पॉवर पार्क्स की स्थापना में प्रदेश में केन्द्र सरकार के उपक्रम के साथ अक्षय ऊर्जा के विकास की इस तरह की एक अनूठी पहल साबित होगी। राज्य सरकार प्रदेश में अक्षय ऊर्जा के विकास को हर संभव सहायता और सहयोग प्रदान करने के लिए कटिबद्ध है।

राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक अनिल ढाका ने अवगत कराया कि प्रदेश में 10,000 मेगावाट क्षमता के अल्ट्रा मेगा अक्षय ऊर्जा पॉर्क्स की स्थापना से राज्य के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के साथ-साथ राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के कार्य-कलापों के दायरे का विकास होगा।

टीएचडीसी के सीजीएम (सोलर) एसएस पंवार ने बताया कि इस अल्ट्रा मेगा अक्षय ऊर्जा पार्क्स की स्थापना पर लगभग 40,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 10,000 व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त होगा, जिससे स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति और जीवन स्तर का विकास होगा। पंवार के अनुसार प्रथम चरण में वर्ष 2025 तक 2000 मेगावाट क्षमता के सोलर पॉर्क्स का विकास किया जाएगा।