गाजियाबाद। योग भारती ट्रस्ट ऋषिकेश के संस्थापक आचार्य नीरज योगी ने कहा कि चेतना का विकास ही असली विकास है। यदि व्यक्ति चेतन्य है तो वह घर, परिवार, समाज और देश का सही तरीके से विकास कर सकता है। यदि चेतना का विकास नहीं हुआ तो तकनीकि कितनी भी विकसित या एडवांस होती चली जाए वह विकास नहीं विनाश की ओर ले जाएगी।
आचार्य नीरज अखिल भारतीय योग संस्थान के गोल्फ लिंक में प्रारंभ हुए चार दिवसीय ध्यान-योग कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। चेतना की अनुभूति विषयक कार्यशाला में आचार्य नीरज योगी ने चेतन्यता संबंधी गूढ़ विषय की विस्तार से जानकारी दी। इससे पूर्व उद्यमी राज कुमार त्यागी के आवास पर पत्रकारों से बातचीत में योग ऋषि नीरज योगी ने कहा कि आज भले की विकास के नए आयाम स्थापित हो रहे हों, लेकिन यह असली विकास नहीं है। असल विकास है मानव की चेतना का विकसित होना। यदि मनुष्य की चेतना का सही विकास होगा तो वह घर परिवार व समाज से लेकर राष्ट्र और समस्त ब्रह्मांड के विकास के लिए कल्याणकारी साबित होगा।
मानव चेतना को विकसित करने का सबसे आसान तरीका ऋषि ज्ञान अर्थात ध्यान व योग है। उन्होंने कहा कि आज भले ही पूरे संसार में योग की परंपरा बढ़ रही है, मगर योग मूल स्वरूप में नहीं आ पा रहा है। योग कोई व्यायाम अथवा खेल नहीं है, बल्कि योग आध्यात्म की आत्मा से चेतन्य है। योग के माध्यम से हम चेतना के विकास को कैसे और बढ़ा सकते हैं इसे समझने की आवश्यकता है। यदि आत्मा का शासन हमारे तन, मन, बुद्धि व इंद्रियों पर नहीं है तो हम कितने भी शिक्षित हो जाएं हमारे निर्णय श्रेष्ठ व चेतन्य नहीं होंगे। इसलिए योग के माध्यम से सर्वप्रथम चेतन्य होना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में युवाओं में इच्छाशक्ति का अभाव है और इसकी वजह उनका उद्देश्य स्पष्ट न होना है। इस समस्या का समाधान उनकी चेतना शक्ति को बढ़ा कर किया जा सकता है और यह कार्य योग से ही संभव है। योग को शैक्षिक पाठ्यक्रम में शामिल करने से यह और भी आसान हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि चेतना का विकास होगा तो राजनीतिक, सामाजिक, पारिवारिक, बौद्धिक, आर्थिक आदि तमाम स्तरों का सही विकास होगा और यह मानव के लिए कल्याणकारी रहेगा।
राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल अग्रवाल ने कहा कि योग सर्वांगीण विकास में सहायक है। इसकी क्रियाओं से मेधा भी तेजी से विकसित होती है। वर्तमान में तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण को दूर करने के लिए भी योग आवश्यक है। सांसद प्रतिनिधि व समाजसेवी देवेंद्र हितकारी, राजकुमार त्यागी एवं पूर्व न्यायाधीश प्रदीप कंसल ने भी विचार व्यक्त किए और योग मानव की चेतना विकसित करने के लिए श्रेष्ठ बताया। पूर्व डीएसपी मोहर सिहं, पीपी कर्णवाल, दिव्य कर्मयोग फाउंडेशन की अध्यक्ष रचना सिंह, डॉ. सरोज सिरोही, विनोद गिरधर आदि मौजूद रहे।