शैली : थ्रिलर /ड्रामा भाषा : हिंदी रिलीज़ : 14 अगस्त 2020 प्लेटफार्म/ओटीटी : डिज्नी+हॉटस्टार आयु उपयुक्तता : 16+ अवधि : 2 घंटा 13 मिनट | निर्देशन : 3.5/5 संवाद : 3.5/5 पटकथा : 3/5 संगीत : 3.5/5 __________________ कुल मिला के 3/5 |
खुदा हाफ़िज़ की कहानी एक नवविवाहित जोड़े समीर(विद्युत जामवाल) और नरगिस(शिवालीका ओबेरॉय) के बारे में हैं जिन्हें आर्थिक मंदी के चलते अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ता है और एक दूसरे देश नोमान में नौकरी के लिए आवेदन करना पड़ता है। हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि नरगिस को नौकरी कर लिए पहले बुलावा आता है और उसे समीर के बगैर जाना पड़ता है। समीर शुरू में इसके लिए राजी नही होता लेकिन परिस्थितियों और नरगिस की ज़िद के चलते मान जाता है।
फ़िल्म में एक रोमांचक मोड़ आता है जब नोमान पहुँचने कर बाद नरगिस समीर को फोन पर उसे अपने मुसीबत में फँसे होने और किसी अनजान जगह पर होने के बारे में बताती है और फोन कट जाता है। फ़िल्म की बाकी कहानी समीर के नरगिस को ढूंढने के बारे में है। क्या समीर नरगिस को ढूंढ पायेगा? एक अनजान देश में एक गुमनाम पते और अपनी खोई पत्नी को ढूँढने में उसे किन किन मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा? ये सब जानने के लिए आपको फ़िल्म देखनी पड़ेगी।
फ़िल्म रोमांचक है और अपनी दिशा से कहीं भटकती नही है लेकिन फ़िल्म की गति बहुत धीमी है और फ़िल्म सवा दो घंटे लंबी होने के बावजूद खींची हुई लगती है। एक और कमज़ोर पक्ष ये है कि फ़िल्म में विद्युत जामवाल जैसे एक्शन कलाकार होने के बाद उतना एक्शन नहीं है जितनी उम्मीद थी जोकि कहीं न कहीं निराश करता है। फ़िल्म का संगीत काफी अच्छा है। कुल 4 गानों में से 2 गाने बेहद अच्छे बन पड़े हैं।
विद्युत जामवाल ने इस बार लीक से हटकर एक्शन पर कम और एक्टिंग पर ज़्यादा केंद्रित किया है और इस में वो कामयाब भी रहे हैं। फ़िल्म में वो एक मंझे हुए कलाकार की तरह नज़र आते हैं और हो सकता है कि उनकी आने वाली फिल्मों में और भी बेहतर अभिनय देखने को मिले। शिवालीका ओबेरॉय बेहद खूबसूरत लगी हैं पर उनका रोल काफी कम है। इसके बावजूद उन्होंने बढ़िया काम किया है।
अन्नू कपूर किसी भी रोल में अपनी छाप छोडने में सक्षम हैं और यहां भी उस्मान भाई के रोल में वो दिल जीत लेते हैं। अहाना कुमरा ने छोटे से रोल में अच्छा काम किया है। शिव पंडित एक लंबे अरसे के बाद स्क्रीन पर दिखे हैं और बखूबी प्रभावित करते हैं।
कुल मिला कर, यदि आप मसाला फिल्मों के शौकीन हैं तो खुदा हाफ़िज़ आपको निराश नही करेगी। कमज़ोर पक्षों कर अलावा भी ये फ़िल्म देखी जा सकती है।

दीपक चौधरी