– भारत का दो टूक, 5 मई के पहले की स्थिति बहाल किये बिना अब आगे नहीं होगी वार्ता
– सबसे विवादित क्षेत्र पैंगॉन्ग एरिया में फिंगर-8 से पीछे जाने पर चीन बिल्कुल सहमत नहीं
नई दिल्ली :- भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच पांचवें दौर की अहम बैठक करीब 10 घंटे चली लेकिन पूर्वी लद्दाख के डेप्सांग मैदानी क्षेत्र, पैंगोंग झील और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स एरिया के विवादित मुद्दों का कोई हल नहीं निकल पाया। रविवार सुबह करीब 11 बजे से यह बैठक लद्दाख में चीन की ओर स्थित मॉल्डो में हुई। तीनों जगहों से चीन पीछे हटने को तैयार नहीं है, इसलिए एक बार फिर भारत को दो टूक कहना पड़ा कि एलएसी पर 5 मई के पहले की स्थिति बहाल किये बिना अब आगे चीन से वार्ता नहीं होगी।
भारत की ओर से सेना की 14वीं कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीन की तरफ से दक्षिण शिनजियांग के सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल लियू लिन रविवार सुबह 11 बजे के करीब चीन की ओर स्थित मॉल्डो में फिर आमने-सामने बैठे। यह बैठक रात 9 बजे के आसपास खत्म हुई। 10 घंटे से ज्यादा चली बैठक में चीन और भारत के कॉर्प्स कमांडरों ने पूर्वी लद्दाख के डेप्सांग मैदानी क्षेत्र, पैंगॉन्ग झील और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स एरिया के विवादित मुद्दों पर चर्चा की। भारत ने पैंगोंग इलाके से चीन को पूरी तरह से हटने को कहा है क्योंकि भारत और चीन के बीच पैंगॉन्ग झील का उत्तरी तट मुख्य समस्या बना हुआ है। चौथे दौर की 14 जुलाई को हुई बैठक में भी चीन से पैंगॉन्ग झील और फिंगर एरिया को पूरी तरह से खाली करने पर बात हुई थी जिस पर सहमति भी बनी थी लेकिन इन 20 दिनों के भीतर चीन ने पीछे हटना तो दूर बल्कि इस इलाके में नई तैनाती की है।
सेटेलाइट में कैद हुई तस्वीरों से पता चलता है कि चीन ने 14 जुलाई की पिछली बैठक के बाद पैंगॉन्ग झील में अतिरिक्त बोट और सेना की टुकड़ी को तैनात किया है। पैंगॉन्ग झील के उत्तरी किनारे पर चीन ने नए कैंप बनाने शुरू कर दिए हैं। पैंगॉन्ग झील में और बोट उतारे जाने की नई चीनी चाल सेटेलाइट में कैद हो गई है, जिसमें यह भी साफ दिख रहा है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की नौसेना फिंगर-5 और फिंगर-6 में डेरा जमाए हुए हैं। फिंगर-5 पर पीएलए की तीन बोट और फिंगर-6 पर पीएलए की 10 बोट दिखाई दी हैं। हर बोट में 10 जवान सवार हैं यानी फिंगर-4 के बेहद करीब 130 जवान तैनात हैं। इसलिए भारत और चीन के बीच पैंगोंग झील का उत्तरी तट मुख्य समस्या बना हुआ है। चीनी सैनिक अब तक सिर्फ फिंगर-4 से फिंगर-5 पर वापस गए हैं लेकिन पूरी तरह से रिज-लाइन को खाली नहीं किया है। चीनियों ने मई के बाद फिंगर-4 से फिंगर-8 तक 8 किलोमीटर के हिस्से पर कब्जा करने के बाद स्थायी ढांचों का निर्माण भी किया है। भारत की तरफ से साफ कहा गया कि चीन को पैंगॉन्ग एरिया में फिंगर-8 से पीछे जाना होगा लेकिन चीन इस पर बिल्कुल सहमत नहीं है।
बैठक में गलवान घाटी के उत्तर में डेप्सांग मैदानी क्षेत्र के बारे में भी भारत की ओर से चिंता जताई गई। भारत डेप्सांग मैदानी क्षेत्र में एक-दूसरे की गश्त रोकने के ‘पुराने नियम’ पर जोर दे रहा है। चीनी सैनिक अभी भी भारतीय सैनिकों को पेट्रोलिंग पॉइंट-10, 11, 12 और 13 में जाने से रोक रहे हैं। डेप्सांग मैदानी भारतीय सीमा का वह इलाका है जहां चीनियों ने घुसपैठ कर रखी है। भारत चाहता है कि डेप्सांग के मैदानी इलाके से चीनी सेना पूरी तरह हटकर वापस 12 किमी. अपनी सीमा में जाए और यहां एलएसी दोनों पक्षों के बीच व्यापक रूप से स्पष्ट हो। सेटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि चीनियों ने यहां पर नए शिविर और वाहनों के लिए ट्रैक बनाए हैं जिसकी पुष्टि जमीनी ट्रैकिंग के जरिये भी हुई है। इसके अलावा बड़ी तादाद में सैनिक, गाड़ियां और स्पेशल एक्यूपमेंट इकठ्ठा किया है।
बैठक का तीसरा मुख्य मुद्दा गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स एरिया रहा जहां पेट्रोलिंग-15 और पेट्रोलिंग पॉइंट-14 पर चीनी सैनिकों को पीछे हटाने का काम पूरा हुआ है लेकिन अभी भी गोगरा के पेट्रोलिंग पॉइंट-17ए में दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे के करीब हैं। बैठक मेंं एलएसी के दोनों तरफ मौजूद करीब 30 हजार सैनिकों को चरणबद्ध तरीके से पीछे हटाने की रणनीति भी बनी। इसके अलावा पूर्वी लद्दाख के इलाकों में दोनों देशों की तैनात आर्टिलरी फोर्सेज, टैंक और अन्य भारी हथियारों को वापस ले जाने को लेकर बातचीत की गई। बैठक में पहले चरण में हुए कार्यों की समीक्षा करने के साथ ही दूसरे चरण की टाइमलाइन तय करने की कोशिश की गई। अभी पूर्वी लद्दाख में एलएसी के दोनों तरफ दोनों देशों ने हजारों की संख्या में सैनिक तैनात कर रखे हैं जिन्हें पीछे करना असल चुनौती है। इसलिए भारत ने एक बार फिर चीन से दो टूक कहा कि एलएसी पर 5 मई के पहले की स्थिति बहाल होनी चाहिए, वरना अब आगे कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता नहीं होगी।