लखनऊ :- उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराध को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बेहद नाराज है। उनकी नाराजगी का असर कानपुर के एएसपी और सीओ समेत दस पुलिस कर्मियों को निलंबन के रुप में हुआ है। इस मामले में कुल 11 पुलिस कर्मी निलंबित किए जा चुके हैं।
कानपुर जनपद के बर्रा इलाके से पैथालॉजी कर्मी संजीत यादव के अपहरण व हत्याकांड के मामले में कार्रवाई के तहत अपर पुलिस अधीक्षक अपर्णा गुप्ता और तत्कालीन सीओ मनोज गुप्ता को निलंबित किया गया है।
इनके अलावा चौकी प्रभारी राजेश कुमार, उपनिरीक्षक योगेन्द्र प्रताप सिंह, आरक्षी अवधेश, दिशु भारती, विनोद कुमार, सौरभ पाण्डेय, मनीष और शिव प्रताप को निलंबित किया गया है। इससे पहले बर्रा थाने से हटाए गए पूर्व थाना प्रभारी बर्रा रणजीत राय को निलंबित किया गया था। वहीं, इस पूरे मामले की जांच अपर पुलिस महानिदेशक पीएचक्यू बीपी जोगदंड को सौंपी गई है।
विदित हो कि विकरू कांड के बाद एक बार फिर कानपुर की बर्रा पुलिस सवालों को घेरे में आ गयी थी। इस पर अपहृत पैथालॉजी कर्मी संजीत यादव का मामला था। हालांकि पुलिस ने इसका खुलासा कर दिया है। दोस्तों ने ही अपहरण के बाद उसकी हत्या कर शव पाण्डू नदी में फेंका था। लेकिन इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका शुरु से ही संदिग्ध रही और पुलिस के सामने ही परिजनों ने फिरौती की 30 लाख रुपये की रकम दी थी।
पुलिस बार-बार बदलती रही बयान
पीड़ित पिता और युवक की बहन और मां जब मीडिया के सामने पुलिस पर आरोप लगा रहे थे तो पुलिस की ओर से जो बयान आये उसमें भी विरोधाभास रहा। एसपी दक्षिण अपर्णा गुप्ता ने पहले कहा था कि कोई बैग अपहरणकर्ताओं को नहीं दिया गया, पर जब मामले का संज्ञान एसएसपी दिनेश कुमार पी ने लिया तो कहा कि बैग तो पुल से फेंका गया पर उसमें रुपये नहीं थे।