दिल्ली में पांच किलो राशन के लिए जमकर पसीना बहा रहे जरूरतमंद

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नई दिल्ली :- दिल्ली की केजरीवाल सरकार गैर-राशन कार्ड धारकों को अपने चिह्नित 421 स्कूलों में राशन वितरित करने का दावा कर रही है। इसके तहत गरीबों को चार किलो गेंहू और एक किलो चावल निःशुल्क वितरित किया जा रहा है। इसके लिए गैर-राशन कार्ड धारकों से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करके कूपन लेने का अनुरोध किया गया था।

पिछले महीने की गई इस घोषणा में दिल्ली सरकार ने 16 लाख से भी ज्यादा लोगों को राशन कूपन देने का वादा किया था, लेकिन राशन लेने के लिए गरीब एवं दिहाड़ी मजदूरों को जमकर पसीना बहाना पड़ रहा है।

दक्षिणी पूर्वी दिल्ली के यमुना किनारे बसी मदनपुर खादर खड्डा कॉलोनी में बड़ी तादाद में मजदूर तबका रहता है। इनके पास राशन कार्ड नहीं हैं। दिल्ली सरकार की ओर से मिलने वाले फ्री राशन के लिए इन लोगों ने ऑनलाइन आवेदन किया था, लेकिन राशन कूपन मिलने में महीनेभर का समय लग रहा है और यदि कूपन मिल भी जाय तो उन्हें राशन लेने के लिए कई किलोमीटर पैदल जाना पड़ता है। इससे परेशान होकर कुछ लोगों ने तो अब रजिस्ट्रेशन कराना ही बंद कर दिया है।

सोमवार को सुबह 8 बजे बदरपुर के एक सरकारी स्कूल के बंद दरवाजे के सामने राशन का इंतज़ार कर रहीं मदनपुर खादर खड्डा कॉलोनी गली नंबर-2 में रहने वाली सुनीता ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि उन्होंने एक महीने पहले राशन के लिए रेजिस्ट्रेशन कराया था। अब एक महीने बाद कूपन आया है। सुनीता ने बताया, “मैं पांच किलो अनाज के लिए छह किलोमीटर पैदल चल कर आ रही हूं, मज़बूरी है क्या करें? सरकार को सोचना चाहिए? जिस क्षेत्र में रहते है वहीं नजदीक में राशन मिलना चाहिए।

सुबह छह बजे चली थी और डेढ़ घंटे में यहां पहुची हूं। अभी आठ बजने वाले हैं कहा जा रहा है कि दरवाजा नौ बजे खुलेगा। पता नहीं नौ बजे भी कोई आएगा कि नहीं?”

सुनीता से जब पूछा गया कि इतने प्रवासी मजदूर दिल्ली से अपने गांव जा रहे हैं, आप क्यों नहीं गईं? इस पर सुनीता ने कहा, “भूख लोगों को कहां से कहां ले जाती है। भूख ही तो दौड़ाता है। लोग गांव भाग रहे हैं। घर जाने के चक्कर में विभिन्न हादसों के कारण अनेकों लोगों की मौत हो गई। राज्य सरकार जाने का कोई इंतज़ाम नहीं कर रही है। रोड पर मरने से अच्छा है घर पर मरें।”

खड्ड कॉलोनी से ही एक और महिला ने अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने पिछले 15 अप्रैल को अपना रजिस्ट्रेशन कराया था और अब राशन कूपन मिला है। स्कूल के दरवाजे पर और भी कई लोग सुबह-सुबह 8 बजे खड़े थे जो दूर से पैदल चलकर आए थे।