Ghaziabad : लॉकडाउन और मौसम की मार से टूटी कूलर कारोबार की रीढ़, ढाई हजार करोड़ का हुआ नुकसान

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गाजियाबाद :- वैश्विक महामारीकोरोना वायरस (कोविड-19) ने दिल्ली के बाद देश की दूसरे नंबर की कूलर मंडी की रीढ़ तोड़ दी है। कोरोना संक्रमण के चलते घोषित लॉकडाउन और मौसम के मार के कारण इस साल कूलर का कारोबार ना के बराबर हुआ है। एक अनुमान गाजियाबाद में करीब ढाई हजार करोड़ का नुकसान कूलर कारोबार को हुआ है। इससे परेशान करीब पांच सौ कारोबारी एक तरह से सड़क पर आ गए हैं और उनकी समझ में ही नहीं आ रहा है कि अब वे क्या करें।

पूरे देश में माल जाता है गाजियाबाद की कूलर मंडी से माल-

गाजियाबाद की कूलर मंडी दिल्ली के बाद देश की सबसे बड़ी मंडी है, यहां पर करीब 100 बड़े कूलर निर्माता है जबकि ढाई सौ से ज्यादा ट्रेडिंग करते हैं और बाकी छोटे दुकानदार हैं जो कूलर बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं। मालीवाड़ा मार्किट कूलर हब है। इसके अलावा लगभग सभी औद्योगिक क्षेत्रों में कूलर बनाये जाते हैं। गाजियाबाद में बने कूलरों की आपूर्ति भारतीय सेना, सीआईएसएफ,पीएसी, असम राइफल, दिल्ली पुलिस, सीपीडब्लूएडी, रेलवे समेत तमाम सरकारी विभागों में भी कूलर की आपूर्ति की जाती है। कारोबारियों की माने तो गाजियाबाद में कूलर का सालाना कारोबार करीब ढाई हजार करोड़ के आसपास होता है, लेकिन इस बार अभी तक पांच से सात प्रतिशत ही कारोबार हो सका है। 

लॉकडाउन में राहत, लेकिन अब मौसम ने मारा

दरअसल कूलर मंडी में हर साल कूलर की मैन्युफैक्चरिंग दिवाली के ही शुरू कर दी जाती है तथा ऑर्डर के हिसाब से माल तैयार किया जाता है। मार्च में माल बिकने लगता है लेकिन इस बार कोरोना महामारी पर अंकुश लगाने के लिए लॉकडाउन घोषित हो गया, जिस कारण व्यवसायिक गतिविधियां पूर्णतया बंद हो गयीं और कारोबार ठप हो गए। शादी का सीजन भी पिट गया। अब बाजार खोलने की अनुमति मिली तो अब मौसम ने मार डाला । अब कूलर के इस्तेमाल का मौसम भी बहुत ही कम बचा है जिसके चलते लोगों ने कूलर खरीदने का इरादा ही छोड़ दिया है। यानि इस बार कूलर का कारोबार पूरी तरह से खत्म सा ही हो गया है तथा अब कारोबारियों की की समझ नहीं आ रहा कि अब वे क्या करें। 

भारी मात्रा में स्टॉक पड़ा हुआ है, सरकार से रियायत चाहते हैं

कारोबारी कूलर कारोबार अब सरकार से रियायत चाहते हैं। उद्योग व्यापार मंडल से अध्यक्ष व गाजियाबाद कूलर एसोसिएशन के अध्यक्ष गोपीचंद कहते हैं कि इस बार लॉकडाउन के चलते कूलर का व्यवसाय बहुत ही बुरी तरह से पिट गया है और स्टॉक भरा पड़ा है। बिजली का बिल, बैंकों की किश्त व उन पर चक्रवर्ती ब्याज को लेकर कारोबारियों की नींद उडी पड़ी है। सरकारी को लॉकडाउन की समावधि के दौरान का बिजली के बिल, बैंक किश्तों में ब्याज माफ करना चाहिए। समरकूल होम एप्लाइंसेस से डायरेक्टर राजीव गुप्ता कहते हैं कि सीजन के दौरान माल की आपूर्ति के लिए कारोबारी बैंकों से लोन लेकर स्टॉक भरता है लेकिन इस बार सीजन बुरी तरह से पिट गया है। जिस तरह का मौसम चल रहा है उसके हिसाब से अब इस कारोबार के चलने की कोई संभावना भी नहीं है। इस स्थिति में सरकार को कूलर कारोबारियों बैंक ब्याज, बिजली बिल आदि में छूट देनी चाहिए। संयुक्त व्यापार मंडल उद्योग प्रकोष्ठ ज़िला अध्यक्ष कुलदीप चौधरी का कहना है कि लॉकडाउन के चलते कूलर कारोबारी पूरी तरह से तबाह और बर्बाद हो गया है, जिस कारण लोग परेशान है । सरकार को कूलर कारोबारियों के लिए टैक्स में छूट देनी चाहिए साथ ही लॉकडाउन की अवधि के दौरान का पूरा बिजली फिक्स चार्ज समाप्त करना चाहिए।