लखनऊ :- उत्तर प्रदेश में बुधवार से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हो गई है। इसके लिए किसान मंडी पहुंचने लगे हैं। प्रदेश में अधिकांश जगहों पर गेहूं कटाई का काम खत्म होने के बाद अब मंडियों में गेहूं पहुंचना शुरू हो गया है। इस दौरान प्रदेश सरकार के निर्देश पर सामाजिक दूरी का भी पालन किया जा रहा है। मंडियों में इसके लिए चॉक से जमीन पर बड़े-बड़े गोले बनाये गये हैं, जिन पर किसान खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।
55 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य
सरकार की ओर से गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1925 रुपये प्रति कुन्तल की दर पर रखा गया है। इस वर्ष प्रदेश के लिए राज्य सरकार ने 55 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा गया है। किसानों को मूल्य समर्थन योजना का अधिक से अधिक लाभ दिलाने के उद्देश्य से क्रय केन्द्रों पर गेहूं की आवक होने पर निर्धारित कार्यकारी लक्ष्य से अधिक गेहूं भी क्रय किया जा सकेगा। वहीं लॉकडाउन के मद्देनजर सरकार ने किसानों को बाजार में अपनी उपज सीधे बिक्री करने की अनुमति भी दी है। कृषि उत्पादक संगठन के जरिए कृषि उपज को सीधे बाजार में बेचा सकता है। मुख्यमंत्री ने एफपीओ के जरिए गांव-खेत से ही उपज की खरीद को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिये हैं।
5000 क्रय केन्द्रों के जरिए होगी गेहूं खरीद
सरकार ने 10 क्रय संस्थाओं के जरिए गेहूं क्रय करने के निर्देश दिये हैं। गेहूं क्रय के लिए प्रदेश के विभिन्न जनपदों में क्रय एजेन्सियों के 5000 क्रय केन्द्र स्थापित करने का लक्ष्य है। इनमें से अधिकांश चिह्नित को चुके हैं। गेहूं खरीद आज 01 अप्रैल से 15 जून तक की जाएगी। सभी क्रय एजेन्सियों द्वारा गेहूं क्रय का मूल्य का भुगतान पीएफएमएस पोर्टल के जरिए किसानों के बैंक खातों में सीधे गेहूं क्रय के 72 घण्टे के अन्दर किया जाएगा। इससे किसानों को उनकी गेहूं की उपज का प्रतिस्पर्धात्मक और लाभकारी मूल्य प्राप्त हो सकेगा।
गेहूं बिक्री को किसान करा रहे पंजीकरण
गेहूं विक्रय के पूर्व किसानों को पंजीयन कराना जरूरी है तथा 100 कुन्तल से अधिक गेहूं विक्रय की स्थिति में किसानों की उपज का राजस्व विभाग से सत्यापन कराया जाएगा। बताया जा रहा है कि गेहूं विक्रय के लिए लगभग 60 हजार किसानों ने पंजीकरण कराया है। इनके आधार कार्ड व बैंक खाता मिलान का कार्य किया जा रहा है। गेहूं खरीद के साथ यह संख्या लगातार बढ़ेगी।
बटाई पर खेती करने वाले किसानों का भी पंजीकरण जरूरी
इस वर्ष बटाईदार एवं अनुबन्ध पर खेती लेने वाले किसानों (काॅन्ट्रैक्ट फार्मिंग) का भी पंजीकरण अनिवार्य है। क्रय एजेन्सियां अनिवार्य रूप से ऑनलाइन गेहूं क्रय की प्रक्रिया अपनाएंगी। गेहूं खरीद का प्रत्येक विवरण ई-उपार्जन माॅड्यूल पर करना होगा। केवल उसी खरीद को मान्यता दी जाएगी, जो ऑनलाइन फीड होगी।
इस तरह है गेहूं खरीद का लक्ष्य
रबी विपणन योजना के अन्तर्गत गेहूं क्रय करने के लिए खाद्य विभाग की विपणन शाखा के लिए 10 लाख मी.टन, उप्र कर्मचारी कल्याण निगम को 02 लाख मी.टन, उप्र राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम (एसएफसी) को 1.50 लाख मी.टन, उप्र सहकारी संघ (पीसीएफ) को 25 लाख मी.टन, उप्र को-ऑपरेटिव यूनियन (यूपीसीयू) को 05 लाख मी.टन, उप्र राज्य कृषि एवं औद्योगिक निगम (यूपी एग्रो) को 02 लाख मी.टन, नेशनल एग्रीकल्चरल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इण्डिया (नेफेड) को 2.50 लाख मी.टन, उप्र उपभोक्ता सहकारी संघ (यूपीएसएस) को 3.50 लाख मी.टन, एनसीसीएफ को 02 लाख मी.टन तथा भारतीय खाद्य निगम को 1.50 लाख मी.टन का कार्यकारी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
किसानों को नहीं हो किसी प्रकार की असुविधा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंडियों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराये जाने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा है कि किसानों को किसी प्रकार की असुविधा न हो इसके लिए नियमों का सरलीकरण कर उनकी सहायता करें। किसानों से गेहूं खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर अनुमन्य नहीं होगी। फसलों के प्रोक्योरमेंट तथा मंडी की व्यवस्था को और सुचारू बनाया जाए। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक क्रय के रूप में एफपीओ (कृषक उत्पादक संगठन) के जरिए गांव या खेत से ही उपज की खरीद को प्रोत्साहित किया जाए।
क्रय केंद्रों पर भीड़ रोकने को टोकन व्यवस्था लागू
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के मुताबिक सरकार ने गेहूं की खरीद की तैयारी की है। क्रय केंद्रों पर भीड़ न जुटे इसके लिए टोकन व्यवस्था लागू की गई है। जिसके जरिये पंजीकृत किसानों के पास एसएमएस के जरिए टोकन संख्या व क्रय किए जाने के दिन-समय आदि जानकारी पहुंच जाएगी। केवल महिला किसान के लिए विशेष छूट होगी। हालांकि इसके लिए उन्हें स्वयं गेहूं बेचने के लिए क्रय केंद्र पर आना होगा।
बटाई पर खेती करने वाले किसानों का भी पंजीकरण जरूरी
इस वर्ष बटाईदार एवं अनुबन्ध पर खेती लेने वाले किसानों (काॅन्ट्रैक्ट फार्मिंग) का भी पंजीकरण अनिवार्य है। क्रय एजेन्सियां अनिवार्य रूप से ऑनलाइन गेहूं क्रय की प्रक्रिया अपनाएंगी। गेहूं खरीद का प्रत्येक विवरण ई-उपार्जन माॅड्यूल पर करना होगा। केवल उसी खरीद को मान्यता दी जाएगी, जो ऑनलाइन फीड होगी।
इस तरह है गेहूं खरीद का लक्ष्य
रबी विपणन योजना के अन्तर्गत गेहूं क्रय करने के लिए खाद्य विभाग की विपणन शाखा के लिए 10 लाख मी.टन, उप्र कर्मचारी कल्याण निगम को 02 लाख मी.टन, उप्र राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम (एसएफसी) को 1.50 लाख मी.टन, उप्र सहकारी संघ (पीसीएफ) को 25 लाख मी.टन, उप्र को-ऑपरेटिव यूनियन (यूपीसीयू) को 05 लाख मी.टन, उप्र राज्य कृषि एवं औद्योगिक निगम (यूपी एग्रो) को 02 लाख मी.टन, नेशनल एग्रीकल्चरल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इण्डिया (नेफेड) को 2.50 लाख मी.टन, उप्र उपभोक्ता सहकारी संघ (यूपीएसएस) को 3.50 लाख मी.टन, एनसीसीएफ को 02 लाख मी.टन तथा भारतीय खाद्य निगम को 1.50 लाख मी.टन का कार्यकारी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
किसानों को नहीं हो किसी प्रकार की असुविधा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंडियों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराये जाने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा है कि किसानों को किसी प्रकार की असुविधा न हो इसके लिए नियमों का सरलीकरण कर उनकी सहायता करें। किसानों से गेहूं खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर अनुमन्य नहीं होगी। फसलों के प्रोक्योरमेंट तथा मंडी की व्यवस्था को और सुचारू बनाया जाए। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक क्रय के रूप में एफपीओ (कृषक उत्पादक संगठन) के जरिए गांव या खेत से ही उपज की खरीद को प्रोत्साहित किया जाए।
क्रय केंद्रों पर भीड़ रोकने को टोकन व्यवस्था लागू
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के मुताबिक सरकार ने गेहूं की खरीद की तैयारी की है। क्रय केंद्रों पर भीड़ न जुटे इसके लिए टोकन व्यवस्था लागू की गई है। जिसके जरिये पंजीकृत किसानों के पास एसएमएस के जरिए टोकन संख्या व क्रय किए जाने के दिन-समय आदि जानकारी पहुंच जाएगी। केवल महिला किसान के लिए विशेष छूट होगी। हालांकि इसके लिए उन्हें स्वयं गेहूं बेचने के लिए क्रय केंद्र पर आना होगा।