एक लाख करोड़ के घाटे में चल रहे रियल एस्टेट कारोबार, जानिए क्या कहते है बड़े रियल एस्टेट कारोबारी

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गाजियाबाद :- देशभर में पहले से ही मंदी की मार झेल रहे रियल एस्टेट कारोबार के सामने कोविड-19 (कोरोना वायरस) संक्रमण ने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। कोरोनावायरस के लगातार बढ़ रहे मामलों ने बड़े से बड़े रियल एस्टेट कारोबारियों की जमीन हिल रही है। सभी को एक ही चिंता सता रही है कि कोविड-19 के खात्मे के बाद पहले से ही एक लाख करोड़ के घाटे से चल रहे इस कारोबार का क्या होगा इसका क्या स्वरूप होगा। क्या-क्या चुनौतियां होंगी और इस कारोबार के उबरने के क्या अवसर बनेंगे।

इस संदर्भ में बड़े रियल एस्टेट कारोबारियों ने लेबर से काम कराने को जहां बड़ी चुनौती माना, साथ ही इस बात को सुखद पहलू माना कि कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के दौरान लोगों को घरों की अहमियत महसूस हुई है और लॉकडाउन के बाद वे अपना घर बनाने को सबसे पहली प्राथमिकता में रखेंगे और लॉकडाउन के बाद घरों की डिमांड बढ़ सकती है।

आइये जानते हैं कि कोविड-19 के खात्मे के बारे में रियल एस्टेट कारोबार के ये बड़े कारोबारी क्या सोचते हैं और और सरकार से उनकी क्या अपेक्षाएं हैं?

वीवीआईपी ग्रुप के सीएमडी प्रवीण त्यागी कहते हैं कि कोविड-19के खात्मे के बाद रियल एस्टेट कारोबार की स्थिति को संभालना आसान नहीं होगा। सबसे बड़ी चुनौती लेबर से काम कराना होगा चूँकि स्थिति पूरी तरह से सामान्य होने में समय लगेगा और लेबर से कुछ नियमों जैसे मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए लेबर को समाझाना काफ़ी मुश्किल होगा। सामान्य स्थिति में भी जब लेबर हेलमेट लगाने में आलस दिखाती है तो मास्क पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन आसानी से नहीं कर सकेगी। पैसे की कमी होगी, ऐसे में मकानों को बेचना बड़ी चुनौती होगा। मकान नहीं बिकेंगे तो कारोबार और नीचे जा सकता है। सरकार के सहयोग के बिना कारोबार का उबारना कठिन होगा। सरकार को बैंक ब्याज दर के करनी होंगी, अथॉरटियों से होने वाले कामों के सरलीकरण नक्शा आदि की प्रक्रिया को सरल कर जनता के लिए होम लोन पर ब्याज की दरें और कम करनी होंगी।

एसवीपी ग्रुप से सीईओ सुनील जिंदल कहते हैं कि कोविड -19 के खात्मे के बाद रियल एस्टेट कारोबार की स्थिति क्या बनेगी, यह इस बात पर निर्भर करेगी कि कोविड -19 कितना लम्बा खींचता है जितना लम्बा चलेगा उतनी ही स्थिति खराब होगी। माल की सेलिंग में बहुत ज्यादा परेशानी नहीं आएगी लेकिन लेबर व लॉक डाउन के दौरान जो मेंटल पैनिक बढ़ा है उससे निपटना बहुत बड़ी चुनौती होगी। सरकार को शर्तों के साथ लॉकडाउन खोलना होगा और सालों तक शत-प्रतिशत लेबर से काम नहीं कराया जा सकेगा जिससे कास्टिंग बढ़ेगी और प्रोजेक्ट्स के पूरा होने में भी समय लगेगा। सरकार को कारोबारियों पर जो लोन चल रहा है उसके ब्याज में छूट व फिक्स खर्चे, बिजली बिल आदि में भी रियायत देनी होगी।

लैंड क्राफ्ट के डायरेक्टर ललित जायसवाल कहते हैं कि कोविड -19 के खात्मे के बाद रियल एस्टेट कारोबार को पटरी पर लाना बहुत बड़ी चुनौती होगी और इसके लिए सरकार को इस कारोबार की सहायता करनी होगी। बैंक ब्याज में रिबेट देनी होगी और लॉकडाउन के समय के फिक्स चार्ज खत्म करने होंगे साथ ही आम जनता को प्रोत्साहित करने के लिए लोन देने की नीति को ना केवल आसान करना होगा बल्कि बैंक होम लोन और सस्ता करना होगा ताकि आम जनता में मकान के लिए रुचि बढ़ सके।

एससीसी ग्रुप के सीईओ विपुल गिरी का कहना है कि लॉकडाउन के बाद रियल एस्टेट में मंदी तो नहीं आएगी चूंकि इस इस प्रॉपर्टी के जो दाम चल रहे हैं वे सतह स्तर पर हैं, हो सकता हैं कि बिक्री घट जाये, लेकिन दाम स्थिर ही रहेंगे। लॉकडाउन के दौरान जिन लोगों के घर नहीं है उन्हें अपने घर की अहमियत तो पता चल गयी है। इस तरह के लोग लॉकडाउन के बाद अपना घर लेने को प्राथमिकता देंगे और घरों की डिमांड बढ़ेगी। जिन घर खरीदने वालों के पास बकाया है उसे उनसे निकलना बड़ी चुनौती होगी। लॉकडाउन के दौरान लेबर को दी जाने वाली सैलरी वसूले जाने के एक प्रतिशत लेबर सेस से सरकार को समायोजन करना चाहिए।