भारत कोविड-19 से मुकाबला करने में अपने ‘दोस्तों’ की मदद को तैयार: पीएम मोदी

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नई दिल्ली :- कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने के संयुक्त प्रयासों का आह्वान करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत अपने ‘दोस्तों’ की मदद करने के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज एक के बाद एक कई ट्वीट करके कहा कि हमें संयुक्त रूप से इस महामारी से लड़ना है। भारत अपने दोस्तों की हर संभव मदद करने के लिए तैयार है। उन्होंने इजरायल के लोगों की भलाई और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की।

पीएम मोदी ने यह टिप्पणी इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के ट्वीट के जवाब में की, जिसमें उन्होंने कोविड-19 के उपचार में उपयोगी मलेरिया-रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) की आपूर्ति करने के भारत के फैसले की सराहना की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन अप्रैल को बेंजामिन नेतन्याहू से टेलीफोन पर बातचीत की, जहां दोनों नेताओं ने कोविड-19 महामारी के चलते स्वास्थ्य संकट का मुकाबला करने के लिए अपनाई गई रणनीतियों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने महामारी से लड़ने में भारत और इज़राइल के बीच संभावित सहयोग का पता लगाया, जिसमें फार्मास्युटिकल आपूर्ति की उपलब्धता में सुधार और उच्च प्रौद्योगिकी के अभिनव उपयोग शामिल है।

उल्लेखनीय है कि बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी हाइड्रोक्सीक्लोरक्वाइन के निर्यात का फैसला करने पीएम मोदी और भारत के लोगों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि “असाधारण समय में दोस्तों के बीच भी घनिष्ठ सहयोग की आवश्यकता होती है। एचसीक्यू की आपूर्ति के निर्णय के लिए भारत और भारतीय लोगों का धन्यवाद। इसे भुलाया नहीं जा सकेगा। भारत, बल्कि मानवता की मदद करने में आपके मजबूत नेतृत्व के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद!।

इससे पहले, ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो ने हाइड्रोक्सीक्लोरक्वाइन का उत्पादन करने के लिए अपने देश को कच्चे माल के निर्यात की अनुमति देने के लिए नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया था। बोलसनारो उन नेताओं में से एक हैं जिन्होंने कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के बाद विश्व के नेताओं के साथ अपनी निरंतर बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी से बात की थी।

भारत दुनिया में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का सबसे बड़ा निर्माता है लेकिन विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने देश में संक्रमण से संबंधित मामलों में तेजी से वृद्धि को देखते हुए दवा और इसके अवयवों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।