आख़िरकार नौसेना को मिल ही गई स्कॉर्पीन क्लास की दूसरी खास पनडुब्बी ‘खंदेरी’, खुफिया जानकारी जुटाने में है सक्षम

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नई दिल्ली। एमडीएल ने बृहस्पतिवार को स्‍कॉ‍र्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्‍बी खंदेरी को नौसेना के हवाले कर दिया। रक्षा मंत्रालय ने इस बारे में बताते हुए कहा कि स्‍कॉर्पीन श्रेणी की तीसरी पनडुब्‍बी करंज का निर्माण पिछले साल 31 जनवरी को शुरु किया गया था। खंदेरी को जल्‍द ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा।

आपको बता दें कि पहली ‘खंदेरी’ पनडुब्‍बी भारतीय नौसेना में 06 दिसंबर 1968 को शामिल की गई थी। इस पनडुब्‍बी ने लगभग 20 साल से ज्‍यादा समय तक सेवा देने के बाद को 18 अक्‍टूबर 1989 को जवाब दे दिया था जिसके बाद स्‍कॉर्पीन श्रेणी की तीसरी पनडुब्‍बी ‘करंज’ का निर्माण 31 जनवरी 2018 को शुरु किया गया। अभी भी यह पनडुब्‍बी समुद्री परीक्षण के अपने कई चरण से गुजर रही है।

केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने खांदेरी के लॉन्च के समारोह की अध्यक्षता की। इस पनडुब्बी का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री की पत्नी बीना भामरे ने किया। नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा भी इस अवसर पर मौजूद थे। यहां पनडुब्बी को उस पन्टून से अलग किया गया, जिस पर उसके विभिन्न हिस्सों को जोड़कर एकीकृत किया गया था।

रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि दो अन्‍य स्‍कॉर्पीन पनडुब्बियां- वागीर और वागशीर निर्माण के विभिन्‍न चरणों में हैं। स्‍कॉर्पीन पनडुब्बियों के निर्माण में यह प्रगति रक्षा उत्‍पादन विभाग के सक्रिय सहयोग के बिना संभव नहीं थी। स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां आमतौर पर किसी भी आधुनिक पनडुब्बी द्वारा किए जाने वाले विविध कार्यों को बड़ी निपुणता के साथ कर सकती हैं।

स्कॉर्पीन श्रेणी की यह पनडुब्बी अत्याधुनिक फीचर से लैस है। इनमें रडार से बच निकलने की इसकी उत्कृष्ट क्षमता और सधा हुए वार करके दुश्मन पर जोरदार हमला करने की योग्यता शामिल है। यह हमला तारपीडो से भी किया जा सकता है और ट्यूब-लॉन्चड पोत विरोधी मिसाइलों से भी। रडार से बच निकलने की क्षमता इसे अन्य कई पनडुब्बियों की तुलना में अभेद्य बनाएगी। यह किसी भी अन्य आधुनिक पनडुब्बी द्वारा अंजाम दिए जाने वाले विभिन्न प्रकार के अभियानों को अंजाम दे सकती है। इन अभियानों में सतह-रोधी युद्धक क्षमता, पनडुब्बी रोधी युद्धक क्षमता, खुफिया जानकारी जुटाना, क्षेत्र की निगरानी करना शामिल है।