सनातन वैदिक राष्ट्र निर्माण के संकल्प के साथ पूर्ण हुआ मां बगलामुखी का महायज्ञ व विश्व धर्म संसद
हरिद्वार, 21 दिसंबर (हि.स.)। पुलिस व प्रशासन द्वारा बाधित विश्व धर्म संसद व दस दिवसीय मां बगलामुखी महायज्ञ के अंतिम दिन सभी उपस्थित सन्तों और भक्तों ने सनातन वैदिक राष्ट्र के निर्माण और इस्लामिक जिहाद के समूल विनाश का संकल्प लिया। विश्व धर्म संसद में बांग्लादेश व पाकिस्तान के हिन्दुओं की रक्षा के लिए दोनों देशों में हिन्दुओं के लिए अलग देश बनवाने के लिए भारत के नेताओं पर दवाब बनाने का भी संकल्प लिया।
विश्व धर्म संसद में महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज, महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरी सहित सारी कार्यकारिणी को महाकुम्भ में मुस्लिम प्रवेश वर्जित करने के लिए साधुवाद और धन्यवाद दिया। उन्होंने विश्व धर्म संसद की ओर से संत समाज से सनातन वैदिक राष्ट्र के लिये संघर्ष करने और जाति मुक्त सनातन समाज बनाने की प्रार्थना की।
विश्व धर्म संसद की मुख्य संयोजक डॉ उदिता त्यागी ने आने वाले सभी सन्तांे और प्रबुद्ध सनातनियो को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि बांग्लादेश और पाकिस्तान सहित सम्पूर्ण विश्व में रहने वाले हिन्दू हमारा अपना ही परिवार हैं।अगर आज हम उनके लिये नहीं लड़ेंगे तो कल कोई हमारे लिये भी नहीं लड़ेगा। प्रयागराज महाकुम्भ सम्पूर्ण विश्व का सबसे बड़ा मंच है, जहां इस बार बांग्लादेश व पाकिस्तान के हिन्दुआंे के जनसंहार का मुद्दा गूंजेगा। हम वहां विश्व धर्म संसद आयोजित करके भारत के प्रधानमंत्री सहित सभी राजनेताओं पर बांग्लादेश व पाकिस्तान के हिन्दुओं के लिये अलग राष्ट्र बनाने के लिये दवाब बनाएंगे।
उन्होंने कहा कि प्रयागराज महाकुम्भ में इस बार सबसे बड़ा मुद्दा सनातन वैदिक राष्ट्र का निर्माण होगा। यह ऐसा राष्ट्र होगा जहां कोई भी मस्जिद, मदरसा और जिहादी नहीं होगा।सनातन वैदिक राष्ट्र बन कर रहेगा। इसके बिना हमारे धर्म, अस्तित्व और परिवार का बचना असम्भव है।
इससे पहले मां बगलामुखी के महायज्ञ की पूर्णाहुति के समय महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने रक्त से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को दोबारा पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने लिखा कि वह जूना अखाड़े के हरिद्वार स्थित मुख्यालय माया देवी मंदिर में 19 से 21 दिसंबर को बांग्लादेश, पाकिस्तान, भारत सहित संपूर्ण विश्व में इस्लामिक जिहादियों द्वारा मारे जा रहे निर्दोष मानवों के लिए विलाप करने हेतु और बांग्लादेश व पाकिस्तान के हमारे धर्म बंधुधों के नृशंस नरसंहारों पर चर्चा हेतु विश्व धर्म संसद का आयोजन किया जा रहा था।
यह आयोजन सीमित संख्या में संतों और बुद्धिजीवों के साथ माया देवी मंदिर के अंदर होना था जिसके लिए किसी सरकारी अनुमति की कोई आवश्यकता नहीं थी। परंतु पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट का नाम लेकर धर्म की सारी मर्यादाएं भंग करते हुए धर्म संसद को उजाड़ दिया। संताें ने कहा कि अधिकारियों का यह कृत्य घोर अधार्मिक है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश धर्म संसद की रिकॉर्डिंग का था, धर्म संसद रोकने का नहीं।