दिल्ली हिंसा : अल्पसंख्यकों को हिंसक भीड़ से बचाकर दिया गंगा-जमुनी तहजीब का संदेश

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नई दिल्ली। उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में इस सप्ताह की शुरुआत में हुई हिंसा में उपद्रवियों ने खूब तबाही मचाई। हिंसा में 40 से अधिक मौत हो चुकी है, तो वहीं करोड़ों रुपए की संपत्ति का भी नुकसान हुआ है। इस दौरान कई जगहों पर एक समुदाय दूसरे समुदाय के खून का प्यासा दिखा, मगर साथ ही कुछ जगहों पर एक समुदाय ने अन्य समुदाय के लोगों की हिफाजत करते हुए गंगा-जमुनी तहजीब का नायाब उदाहरण भी पेश किया।

दिल्ली हिंसा के दौरान जहां कुछ स्थानों पर किसी समुदाय विशेष के लोगों को संभावित खतरे को देखते हुए सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी, वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे लोग भी सामने आए, जो सीना तानकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए डटे रहे। पूर्वोत्तर दिल्ली के बृजपुरी इलाके में बहुसंख्यकों ने अल्पसंख्यकों को हिंसक भीड़ से बचाकर मिसाल दी कि इंसानियत अभी भी जिंदा है।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में को 7 दिन हो गए हैं, लोगों के घर जला दिए गए, दुकानें जला दी गई, 40 से ज्यादा लोगों की मौत भी हो गई लेकिन कुछ ऐसे परिवार भी हैं जिन्होंने अपने इलाकों में अपने पड़ोसियों की सुरक्षा की उनको भरोसा दिलाया कि आपके साथ कुछ नहीं होगा और ऐसा करके एक मिसाल दी कि इंसानियत अभी जिंदा है। आईएएनएस संवाददाता ने बृजपुरी इलाके का दौरा कर हिंसा के दौरान पनपे हालातों का जायजा लिया।

यहां के स्थानीय निवासी गौरव कुमार ने आईएएनएस को बताया, बृजपुरी ए-ब्लॉक में मुस्लिम परिवार गिनती के ही हैं, जिससे हिंसा भडक़ने के बाद वे सहमे हुए थे। जिस वक्त उग्र भीड़ हमारी गलियों की तरफ आ रही थी, तो यहां के बहुसंख्यक हिंदू परिवार अल्पसंख्यक मुस्लिम परिवारों की ढाल बनकर खड़े हो गए। हम सभी ने यह ठान लिया था कि अपने इलाके में माहौल को बिगडऩे नहीं देंगे।

गौरव ने बताया, यहां हिंदुओं ने एकजुट होकर गलियों के मुख्य द्वार बंद कर दिए और मुस्लिम परिवारों से कहा कि उनमें से कोई भी घर से बाहर न निकले। स्थानीय निवासी महाबीर सिंह ने बताया, इस पूरे इलाके में दहशत का माहौल था, मगर लोगों ने इलाके का माहौल खराब नहीं होने दिया और सभी की रक्षा की।

अल्पसंख्यक समुदाय से संबंध रखने वाली स्थानीय निवासी आसिया ने आईएएनएस को बताया, जिस वक्त हिंसा हुई, उस वक्त मैं गांव में थी, लेकिन बेफिक्र थी। क्योंकि हमारे यहां ऐसे लोग हैं, जो कभी हमारा साथ नहीं छोड़ते उन्होंने कहा, हम सब भाई की तरह मिलकर यहां रहते हैं। सब एक ही खून हैं और हम लोगों के मन में कोई खटास नहीं है।

जब उनसे उनकी उम्र के बारे में पूछा गया था तो आसिया ने कहा, मोदीजी से एक साल बड़ी हूं। इसके बाद बृजपुरी के एक अन्य अल्पसंख्यक परिवार से बात की गई, जो एक संयुक्त परिवार है। यहां घर में मौजूद महजबीन ने बताया, हमें यहां 40 साल हो गए। सभी एक साथ त्योहार मनाते हैं। ईद भी और दीवाली भी। हमें बस इतना कहा गया कि आप डरिए मत, हम सब आपके साथ हैं।