अब सरपट दौड़ेगी ट्रेन, 1423.96 करोड़ से होगा चुनार-चोपन रेलखंड का दोहरीकरण

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18HREG119 अब सरपट दौड़ेगी ट्रेन, 1423.96 करोड़ से होगा चुनार-चोपन रेलखंड का दोहरीकरण

– उत्तर प्रदेश व झांरखंड के यात्रियों को फायदा, माल ढुलाई में होगी वृद्धि

– कुछ वर्षों में भारतीय रेल में दिखने को मिला व्यापक परिवर्तन

मीरजापुर, 14 अगस्त (हि.स.)। अब ट्रेन यात्रियों की राह और आसान होगी। माल ढुलाई में भी बढ़ोतरी होगी। इसके लिए उत्तर-मध्य रेलवे के प्रयागराज मंडल के चुनार-चोपन रेलखंड का 1423.96 करोड़ रुपये से दोहरीकरण किया जाएगा। इससे अब ट्रेन सरपट दौड़ेगी ही, यात्रियों को भी काफी सहूलियत होगी और लेट-लतीफी का सामना नहीं करना पड़ेगा।

गत कुछ वर्षों में भारतीय रेल में व्यापक परिवर्तन देखने को मिला है। इसका मुख्य कारण रेलवे को मिलने वाले बजट आवंटन में वृद्धि है। आंकड़ों की बात करें तो वर्तमान केंद्रीय बजट में उत्तर प्रदेश में रेल विकास के लिए रिकाॅर्ड 17500 करोड़ रुपये से अधिक धन आवंटन हुआ है। यही नहीं, प्रदेश में 166122 करोड़ रुपये के 5407 परियोजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। साथ ही, उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज मंडल के चुनार-चोपन खंड के दोहरीकरण कार्य को भी स्वीकृति मिल गई है। पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन यार्ड के अत्यधिक व्यस्त होने के कारण उत्तर रेलवे ने करनपुरा कोयला क्षेत्रों के लिए वैकल्पिक मार्ग के रूप में चुनार-चोपन खंड का निर्माण शुरू किया है। उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज मंडल के महाप्रबंधक सतीश कुमार ने बताया कि चुनार-चोपन रेलखंड के दोहरीकरण की स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। इससे उत्तर प्रदेश व झांरखंड के यात्रियों को फायदा मिलेगा। साथ ही माल ढुलाई में भी वृद्धि होगी।

आदिवासी बाहुल्य सोनभद्र व मीरजापुर को मिलेगा लाभ

हावड़ा-दिल्ली मुख्य लाइन पर चुनार से राबटर््सगंज-चुर्क तक का खंड 14 जुलाई 1954 को खोला गया था। इसे आगे गढ़वा रोड तक बढ़ाया गया था, जहां चोपन से ठीक पहले सोन नदी पर एक पुल की आवश्यकता थी। अंततः यह लाइन 19 अक्टूबर 1963 को खोल दी गई। वर्तमान में इस लाइन से प्रदेश के सबसे पिछड़े व तीन राज्यों से जुड़े आदिवासी बाहुल्य जिले सोनभद्र व मीरजापुर को लाभ मिलेगा। इससे 2054 गांव, 6788 वर्ग किमी क्षेत्रफल व लगभग 25 लाख की जनसंख्या को लाभ मिलता है।

राष्ट्र को ऊर्जांचल से जोड़ती है चुनार से राबट्र्सगंज-चुर्क रेल लाइन

चुनार से राबटर््सगंज-चुर्क रेल लाइन राष्ट्र को ऊर्जांचल से जोड़ती है। पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन के रास्ते सिंगरौली से चुनार की दूरी 230 किमी है, जबकि चोपन के माध्यम से सिंगरौली से चुनार की दूरी मात्र 167 किमी है, जो इन दोनों स्टेशन के बीच सबसे छोटा मार्ग है। यह परियोजना सिंगरौली बेल्ट से कोयला रेक की आपूर्ति करती है।

यात्रियों को अब नहीं होगी परेशानी

चुनार-चोपन सेक्शन एक सिंगल लाइन सेक्शन है। इस पर वर्तमान में प्रतिदिन 20 से 22 मालगाड़ी व 14 कोच ट्रेनों का संचालन होता है। इससे चुनार-चोपन खंड पर यातायात काफी बढ़ गया है। दोहरीकरण से यात्रियों को राहत मिलेगी।

कोयला आपूर्ति में होगी सहूलियत

नार्दर्न कोलफील्ड लिमिटेड सिंगरौली की ओर से वर्ष 2020-21 में 39.34 एमटी कोयला का उत्पादन हुआ था। वर्ष 2026-27 में बढ़कर 65.71 एमटी और 2029-30 तक 71.37 एमटी होने की संभावना है। उत्तर भारत के पावर प्लांटों तक दोहरीकृत मार्ग से कोयले की आपूर्ति में सहूलियत मिलेगी।

पांच के अलावा चार अन्य पावर प्लांट को कोयला आपूर्ति की तैयारी

अभी तक ऊर्जा निगम प्राइवेट लिमिटेड मेजा (1320 मेगावाट), प्रयागराज पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड बेवरा (1980 मेगावाट), पनकी पावर हाउस (660 मेगावाट), हरदुआगंज पावर हाउस (660 मेगावाट), एनसीआर के एनटीपीसी दादरी पावर हाउस (1820 मेगावाट) यानी पांच पावर प्लांटों को कोयले की आपूर्ति की जाती है। इसके अलावा चार अन्य पावर प्लांट को भी कोयला आपूर्ति करने की तैयारी है।