डा. पूरनचंद को पीसीपीडी डिवाइस के आविष्कार के लिए मिला पेटेंट

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लखनऊ, 25 जुलाई (हि.स.)। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के दंत संकाय के प्रास्थोडेन्टिस्ट विभाग के विभागाध्यक्ष डा. पूरनचंद को पीसीपीडी डिवाइस के निर्माण के लिए पेटेंट हासिल हुआ है। यह उपकरण ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया यानि सोते समय खर्राटे से पीड़ित मरीजों के इलाज में सहायक होगा।

पीसीपीडी डिवाइस का उपयोग चिकित्सक मरीज में खर्राटे की मशीन लगाने के दौरान करेंगे। इस डिवाइस चिकित्सक को बतायेगी कि खर्राटे की मशीन किस एंगल पर और कहां सेट करना है। इस प्रकार की डिवाइस निर्माण के लिए भारत में पहली बार किसी चिकित्सक को पेटेंट हासिल हुआ है।

डा. पूरनचंद ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि अनुसंधान और नवाचार विज्ञान और प्रौद्योगिकी की नींव है। हमारे नवाचार और डिजाइन को एक पेटेंट से सम्मानित किया गया है। यह सिर्फ हमारे लिए ही नहीं बल्कि केजीएमयू के लिए भी एक उपलब्धि है। भारत सरकार ने इस डिवाइस के लिए एक ट्रेड मार्क भी दिया है।

प्रास्थोडेन्टिस्ट विभाग के विभागाध्यक्ष डा. पूरनचंद ने बताया कि सोते समय खर्राटा आना एक गंभीर बीमारी है। कई बार सोते-सोते सांस रूकने की वजह से व्यक्ति की मौत तक हो जाती है। इसके लिए बाईपैप मशीन का सहारा लिया जाता है, लेकिन विभाग में इसके विकल्प के रूप में एक विशिष्ट उपकरण भी उपलब्ध है। डा.पूरनचंद ने बताया कि मेंडिबुललर अडवांसमेंट डिवाइस जबड़े में लगाई जाती है। इस डिवाइस को जब जबड़े में लगाया जाता है तो जबड़ा पीछे नहीं जाता है

खर्राटे की समस्या लिए विशेष क्लीनिक होगी शुरू

केजीएमयू के प्रास्थोडेन्टिस्ट विभाग में बुजुर्गें और दिव्यांगों के लिए हर शनिवार को ओपीडी में विशेष क्लीनिक चलाई जायेगी। वहीं हर सोमवार को इसी विभाग में खर्राटे की समस्या के लिए अलग से क्लीनिक शुरू की जायेगी। इस क्लीनिक में खर्राटे और बैठे-बैठे सोने की बीमारी वाले लोगों का इलाज किया जायेगा।