सीहोरः शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु

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सीहोर, 03 अप्रैल (हि.स.)। भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह दिव्य है। माता पार्वती की कठिन तपस्या का परिणाम है कि भगवान शिव ने अपनी शक्ति के रूप में चयन किया। भगवान शिव और माता पार्वती अर्धनारीश्वर स्वरूप है। उक्त विचार शहर के नेहरु कालोनी में जारी सात दिवसीय भागवत कथा के तीसरे दिन रविवार को कथावाचक कपिल महाराज ने कही। इस दौरान भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की झांकी सजाई गई। विवाह प्रसंग सुन श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। इस दौरान शिव-पार्वती विवाह की झांकी पर श्रद्धालुओं ने पुष्प बरसाए।

कथावाचक कपिल महाराज ने कहा कि धर्म में भगवान शिव को देवों का देव महादेव माना जाता है। सब सृष्टि की संरचना हुई तो देवों के देव महादेव उसके पहले से उपस्थित थे भारतीय संस्कृति में शिव के अर्धनारीश्वर रूप का भी उल्लेख है। जब शिव की पूजा की जाती है तो जीवन में सुख अनुभूति होती है। सारे क्लेश मिट जाते हैं। लोगों का आपसी द्वंद्व लड़ाई समाप्त हो जाता है और इसीलिए विवाह रूपी बंधन के सबसे उत्तम उदाहरण शिव और पार्वती हैं।

कहा जाता है कि यदि क्लेश से निजात पाना हो तो भगवान शिव की पूजा अर्चना करते रहना चाहिए। पर्वतराज हिमालय की घोर तपस्या के बाद माता जगदंबा प्रकट हुईं और उन्हें बेटी के रूप में उनके घर में अवतरित होने का वरदान दिया। इसके बाद माता पार्वती हिमालय के घर अवतरित हुईं। बेटी के बड़ी होने पर पर्वतराज को उसकी शादी की चिंता सताने लगी। माता पार्वती बचपन से ही बाबा भोलेनाथ की अनन्य भक्त थीं। एक दिन पर्वतराज के घर महर्षि नारद पधारे और उन्होंने भगवान भोलेनाथ के साथ पार्वती के विवाह का संयोग बताया।

उन्होंने कहा कि नंदी पर सवार भोलेनाथ जब भूत-पिशाचों के साथ बरात लेकर पहुंचे तो उसे देखकर पर्वतराज और उनके परिजन अचंभित हो गए, लेकिन माता पार्वती ने खुशी से भोलेनाथ को पति के रूप में स्वीकार किया।

सोमवार को आस्था और उत्साह के साथ भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। कथा दोपहर एक बजे से आरंभ होती है।

नौ दिवसीय रामकथा का शुभारंभ 7 अप्रैल से

नगर में नौ दिवसीय श्रीराम कथा महोत्सव का आयोजन 7 अप्रैल से 15 अप्रैल तक किया जा रहा है। कथा प्रतिदिन रात 8 बजे से 11 बजे तक चलेगी। श्रीराम कथा का आयोजन श्रीसंकट मोचन हनुमान मंदिर समिति विश्वनाथपुरी सीहोर द्वारा कराया जा रहा है। कथा उद्ववदास महाराज रामकुटी आश्रम सीहोर द्वारा की जाएगी। इसकी तैयारियां जोर शोर के जारी हैं।

कथा से पहले 7 अप्रैल को शाम 4 बजे पशुपतिनाथ मंदिर अवधपुरी से कलश यात्रा प्रारंभ की जाएगी, जो कि विभिन्न मार्गों से होते हुए कथा स्थल श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर सीवन स्काई के पास विश्वनाथपुरी तक पहुंचेंगी। कथा के समापन के बाद 16 अप्रैल को अभिषेक एवं हवन किया जाएगा। इसके बाद प्रसादी वितरण होगी। समिति द्वारा लोगों से अपील की गई है श्रीराम कथा श्रवण कर धर्म का लाभ ले।