गाजियाबाद। 7 महीने से जिस बात का डर था आखिर वही हो गया। दरअसल सत्तारूढ़ दल भाजपा और किसान आंदोलन के झंडे आमने-सामने क्या आए कि जमकर डंडे चल गए। भाजपा नेता अमित बाल्मीकि दिल्ली से उत्तर प्रदेश आ रहे थे। जिनका स्वागत करने के लिए भाजपा यूपी गेट पर जमा थे। उनसे मात्र कुछ दूरी पर ही 7 महीने से किसान भी आंदोलनरत बैठे हुए हैं। आमने सामने जब भाजपा और भारतीय किसान यूनियन के झंडे आए तब देखते ही देखते दोनों पक्षों के हाथ में डंडे आ गए,फिर क्या था, किसी का सर और किसी की पैर पर वार होते रहे और लोग वीडियो बनाते रहे। वीडियो वायरल हुआ तो बात बढ़ गई। ऐसे में भाजपाइयों ने पुलिस कप्तान से गुहार लगाई और आरोप लगाया कि राकेश टिकैत और उनके गुंडों ने भाजपाइयों पर जानलेवा हमला किया है। जबकि यही कहना किसान नेताओं का भी है कि भाजपाइयों ने आंदोलनरत किसानों पर हमला किया और अब विवाद को और अधिक विकराल रूप देकर किसानों को 26 जनवरी की घटना की तरह ही आरोपित किया जा रहा है।
भाजपा महानगर उपाध्यक्ष रनिता सिंह महानगर उपाध्यक्ष ने बताया कि, “हम कोरोना नियमो का पालन कर अपने नेता अमित वाल्मीकि के स्वागत में शांतिपूर्ण तरीके से खड़े हुए थे, उसी दौरान टिकैत के गुंडे हथियार लेकर आये और हमारी बहनों के साथ मारपीट की। इसमें हमारी बहनों के चोट लगी और वो घायल हो गई हैं। वहीं किसानों ने आरोप लगाया है कि भाजपा कार्यकर्ता आंदोलन स्थल पहुंच किसानों के साथ गालीगलौच कर रहे थे। और किसानों के खिलाफ नारेबाजी भी कर रहे थे, तभी किसानों और उनके बीच मारपीट हुई।
किसान नेता जगतार सिंह बाजवा का कहना है कि यह सारा मामला भाजपा का षड्यंत्र रचाया हुआ नाटक है। जिसके द्वारा किसानों को बदनाम कर जुड़े मुकदमों में फंसाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन किसान ऐसी किसी साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे। किसानों के साथ अभद्रता की गई, किसानों पर हमला किया गया और अब उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली कहावत चरितार्थ की जा रही है।
गौरतलब है कि इससे पहले भी दो बार ऐसा मौका आया है जब भाजपा और आंदोलनरत किसान आमने सामने आ चुके हैं। जहां दोनों ही मामलों को मीडिया में बेहद सुर्खियों के साथ दिखाया गया था।