जुड़वा बेटियां जिस घर में पलीं-बढ़ी उसे ही हड़पने पर आमादा…

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लखनऊ। कहते हैं घर की लक्ष्मी बेटियां होती हैं। बहुत कम सुनने को मिलता है कि बेटियों की प्रताड़ना से तंग होकर माता-पिता ने न्यायालय की शरण ली हो। हालांकि राजधानी लखनऊ में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां बुजुर्ग माता पिता ने न केवल दो बेटियों को संपत्ति से बेदखल कर दिया है, बल्कि उनसे कोई रिश्ता नहीं रखना चाहते।

राजधानी लखनऊ के अलीगंज में पुरनिया के पास रहने वाले वरिष्ठ विज्ञानी डॉक्टर कृष्ण पाल सिंह ने जुड़वा बेटियों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। पीड़ित ने हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल कर सुरक्षा सुनिश्चित कराने की गुहार लगाई थी। इसके बाद हाई कोर्ट ने जिलाधिकारी लखनऊ को कार्रवाई के आदेश दिए और छह सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा है।

डॉक्टर कृष्ण पाल सिंह से मुलाकात कर उनकी समस्या पूछी तो पीड़ित बेचैन हो उठे। डॉक्टर कृष्ण पाल ने बताया कि दो साल से उनकी बेटियों ने परेशान कर रखा है। आरोप है कि बेटियां कृष्ण पाल की पत्नी रूपा सिंह से मारपीट करती हैं। कृष्णपाल ने दोनों की शादी कर दी है। उनका कहना है कि बेटियों की हरकत से परेशान होकर उन्होंने दोनों को अपनी संपत्ति से बेदखल कर दिया है। बावजूद इसके दोनों अक्सर घर में घुस जाती हैं। जबरन एक युवती को उनके घर में रखा है, जो सारी बात दोनों को बताती है।

पीड़ित दंपती ने सीसी कैमरे लगवाने की कोशिश की तो बेटियों ने हंगामा शुरू कर दिया। कृष्णकांत के अधिवक्ता दया शंकर त्रिपाठी ने बताया कि बुजुर्ग दंपती ने कई बार अलीगंज पुलिस से शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट की शरण ली। दंपती से अगर कोई व्यक्ति घर पर मिलने आता है तो दोनों बेटियां वहां पहुंच जाती हैं और उनसे अभद्रता करती हैं। अब न्यायालय का आदेश आने के बाद पीड़ित ने राहत की सांस ली है। कृष्ण कांत का कहना है कि उन्हें व उनकी पत्नी की जान को खतरा है।

कोर्ट ने पूछा- वरिष्ठ नागरिकों के लिए बने एक्ट पर सरकार ने क्या किया : इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने मंगलवार को अलीगंज निवासी वरिष्ठ विज्ञानी रहे डॉ. कृष्ण पाल सिंह व उनकी पत्नी की याचिका पर सुनवाई की थी। सुनवाई करते हुए जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस सौरभ लवानिया की पीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा वरिष्ठ नागरिकों के लिए दिए गए आदेश पर अब तक क्या कार्रवाई की गई है। अक्टूबर, 2017 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजंस एक्ट, 2007 व इसके तहत बनी नियमावली के तहत तीन महीने के भीतर समुचित आदेश जारी करके ट्रिब्यूनल व अपीलेट ट्रिब्यूनल की स्थापना करने, मेंटीनेंस आफिसर नियुक्त करने, ओल्ड एज होम बनाने, सीनियर नागरिकों की कमेटी का गठन करने और अधिनियम के प्रावधानों का मीडिया के जरिये समुचित प्रचार करने का आदेश दिया था।