गाजियाबाद :- बसपा नेता एवं समाजसेवी सिकंदर यादव का कहना है कि अपनी फितरत के अनुसार चीन एक बार फिर सीमा पर अपने पैंतरे दिखा रहा है, पिछले 6 साल के कार्यकाल में मौजूदा सरकार कश्मीर व अक्साई चीन के लिए नेहरू सरकार को जिम्मेदार ठहरती रही है परंतु आज उसके सामने बड़ी परिस्थिति चीन ने फिर से खड़ी कर दी, जो उसने 1965 में किया था, पिछले 6 साल में मोदी सरकार ने चीन से अपने आर्थिक संबंध बढ़ाएं जिसमें अधिकांश आयात चीनी सामानों का भारत की मार्केट में हुआ, दो बार चीन के राष्ट्रपति का भव्य स्वागत भारत सरकार ने किया इससे ऐसा लगता रहा कि चीन के साथ भारत की कोई समस्या नहीं होगी परंतु यह सरकार की चूक ही मानी जाएगी जिसमें उन्होंने माओ और शी जिनपिंग को अलग-अलग माना जबकि दोनों की फितरत और विदेशनीति एक सी है, अपने पड़ोसी पर दबाव बनाकर उसकी सीमा का अतिक्रमण करना ।
आज जब चीन ने हमारे 20 सैनिकों को निर्मम तरीके से मार दिया है तो हमें एक ठोस जवाब चीन को देना पड़ेगा, जिससे वह भविष्य में कोई दुःसाहस दोबारा न कर सके, आज सारी दुनिया में चीन के खिलाफ माहौल है कोरोना वायरस की वजह से चीन को एक साथ कई मोर्चों पर भारत को सबक सिखाना पड़ेगा, सेना को पूरी छूट देकर एवं आर्थिक व राजनैतिक रूप से भी ।
जिस तरह उसने हमारे सैनिकों को मारा है धोखे के साथ, उससे उसकी फितरत पता चलती है, हालांकि हमारे सैनिकों ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया है जिसकी पुष्टि उन्होंने अभी नहीं की है परंतु अंतर्राष्ट्रीय विश्लेषक बताते हैं कि चीन के ज्यादा सैनिक मारे गए हैं, भारतीय जनता व सेना दोनों में इस घटना के बाद से बहुत रोष है और वह भारत सरकार से उसी तरह की उम्मीदें रखे हैं जैसे पाकिस्तान के खिलाफ पिछली बार जवाब दिया गया था परंतु यहां अंतर है कि पाकिस्तान व चीन की कोई तुलना नहीं है, यदि चीन के साथ एल.ए.सी पर युद्ध हुआ तो भारतीय सेना चीन पर भारी पड़ेगी, यह सभी सैन्य विशेषज्ञों का मानना है परंतु यदि यह बड़ी लड़ाई में बदला तो चीन के पास आर्थिक संसाधन ज्यादा हैं साथ ही जान माल की भी आर्थिक हानि दोनों पक्षों को होगी हालांकि बड़ी लड़ाई की स्थिति में चीन कभी नहीं होगा क्योंकि उसकी सीमाएं 14 देशों से मिलती हैं और लगभग सभी से उसके संबंध अच्छे नहीं हैं, विश्व बिरादरी की तरफ से देखा जाए तो आज भारत मजबूत स्थिति में है भारत की सेना का मनोबल ऊंचा है और शस्त्र के मामले में भी भारत अग्रणी है जैसे कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि आपदा को अवसर में बदलिए उनके पास मौका है कि वह भारत को अपना खोया हुआ अक्साई चीन से वापस दिलाकर इतिहास बनाएं ।
जहां तक कारणों की बात की जाए तो चीन के इस प्रकार व्यवहार करने के कई कारण हैं जिसमें एक विदेशी कंपनियों द्वारा चीन से अपना व्यापार समेटने व भारत को विकल्प के रूप में देखना उसे नागवार गुजरा है, इसके अलावा भारत को पी.ओ.के में अक्साई चीन को अपने नक्शे में दिखाकर अगले कदम की तैयारी करना भी चीन को सही नहीं लगा, उसे लगता है यदि भारत को यहीं नहीं रोका गया तो वह एक दिन चीन के कब्जे वाले अक्साई चीन व पाक के कब्जे वाले पी.ओ.के की तरफ कदम बढ़ा सकता है जहां से उसने काराकोरम हाईवे बना कर ग्वादर पोर्ट को जोड़ दिया, जो उसकी लाखों डॉलर की परियोजना है यह हाईवे भारत के दौलत बेग ओल्डी से मात्र 30 किलोमीटर दूर, जहां तक भारत ने सड़क बना ली है।
कुल मिलाकर भारतीय नेतृत्व को मजबूती से अक्साई चीन व तिब्बत की स्वतंत्रता की बात पूरी दुनिया में उठाने चाहिए, इससे चीन पर भारी दबाव पड़ेगा साथ ही हमें यह याद रखना होगा कि चीन हमेशा बातचीत के बहाने धोखा करता है, आज अगर हम चूक गए तो हमारे शहीदों का खून बेकार जाएगा, हमें इस समय का अधिकतम लाभ लेना चाहिए इसके लिए यदि छोटी-मोटी जंग भी लड़नी पड़े तो हमें तैयार रहना होगा, यह भारत की सभी विपक्षी पार्टियों का कर्तव्य है कि मुश्किल घड़ी में सरकार का साथ दें।