मोबाइल का खतरनाक असर: लड़की के पीरियड्स बंद, IIT इंजीनियर को सुसाइड के सपने

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Ajmer संभाग के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल के मनोरोग विभाग द्वारा हाल ही में एक चौंकाने वाले अध्ययन के परिणाम सामने आए हैं, जिसमें बताया गया है कि मोबाइल एडिक्शन कई गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की जड़ बन रहा है। विशेषकर युवा वर्ग, जो अधिकतर समय मोबाइल उपकरणों के साथ बिताते हैं, इसके प्रभाव से अछूते नहीं रह गए हैं। इस अध्ययन में ऐसे कई केस पेश किए गए हैं, जो इस समस्या की गंभीरता को दर्शाते हैं।

17 वर्षीय एक युवती का मामला इस अध्ययन का एक प्रमुख उदाहरण है। वह हाई क्लास परिवार से संबंधित है और 10वीं क्लास में टॉपर रही थी। लेकिन, पिछले ढाई सालों से उसके मोबाइल पर अत्यधिक समय बिताने के कारण उसकी पढ़ाई प्रभावित होने लगी। वह रात के अंधेरे में यूट्यूब पर विभिन्न वीडियो देखती रहती थी, जिससे उसकी नींद का समय बुरी तरह प्रभावित हुआ। नतीजतन, न केवल उसकी नींद कम हुई, बल्कि उसके पीरियड्स भी बंद हो गए, और वह मानसिक तनाव का शिकार हो गई। डॉक्टरों की एक महीने की काउंसलिंग के बाद, उसे मोबाइल से दूरी बना कर रखने और इसके नुकसान के बारे में समझाया गया, जिसके बाद उसकी स्थिति में सुधार हुआ।

एक अन्य केस में, एक MBBS छात्र को मोबाइल गेमिंग की इतनी लत लग गई थी कि उसने अपनी पढ़ाई से दूरी बना ली थी। वह पढ़ाई में फेल हो रहा था और रात में सोते समय डरावने सपने देखने लगा। उसकी नींद की समस्या इतनी गंभीर थी कि वह चिड़चिड़ा हो गया था और दोस्तों के साथ क्लास में भी मोबाइल में गेम खेलता रहा। इस छात्र को ‘नोमोफोबिया’ का शिकार पाया गया और उसके परिवार को सलाह दी गई कि वे उसे मोबाइल से दूर रखें। उसकी काउंसलिंग और दवाओं की मदद से उसे बेहतर महसूस हुआ।

एक और मामला एक IIT इंजीनियर का है, जिसने अपनी नौकरी खोने के बाद, रात के समय अधिक मोबाइल देखना शुरू कर दिया था। इस युवक की नींद भी प्रभावित हुई और उसे आत्महत्या के सपने आने लगे। वह दिन में 10 से 12 घंटे तक मोबाइल का उपयोग कर रहा था। काउंसलिंग और चिकित्सा के बाद, उसकी स्थिति में सुधार देखा गया। डॉक्टरों ने बताया कि इस प्रकार के 5 से 10 केस प्रतिदिन स्थानीय मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में आते हैं, जिन्हें उपचार के लिए तुरंत सहायता की आवश्यकता है।

डॉक्टर महेंद्र जैन ने स्पष्ट किया कि मोबाइल का अत्यधिक उपयोग सोने से पहले डरावने सपनों के आने का कारण बन सकता है। यह विशेष रूप से युवा वर्ग में देखा जा रहा है। जिन लोगों का स्क्रीन टाइम अधिक होता है, वे न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य प्रबंधन में भी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इसके लिए सलाह दी गई है कि लोगों को सोने से कम से कम दो घंटे पहले अपने मोबाइल का उपयोग बंद कर देना चाहिए और खाना खाते समय मोबाइल को दूर रखना चाहिए, ताकि संचार कौशल में सुधार किया जा सके और परिवार के बीच की दूरी को कम किया जा सके।

यह अध्ययन स्पष्ट करता है कि मोबाइल एडिक्शन एक गंभीर समस्या बन गई है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है। एमबीबीएस और नर्सिंग के छात्रों से लेकर इंजीनियरिंग के छात्रों तक, सभी को इससे प्रभावित होते देखा गया है। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मामलों की लगातार बढ़ती संख्या, इसके दुष्परिणामों को उजागर करती है और उचित परामर्श एवं सावधानी बरतने की आवश्यकता को इंगित करती है।