एनएचएम कर्मियों का बड़ा कदम: सिविल सर्जन को ज्ञापन, मार्च अंत में हड़ताल की घोषणा!

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**भास्कर न्यूज | जालंधर**: जालंधर में स्वास्थ्य विभाग के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर सिविल सर्जन को एक ज्ञापन सौंपा है। इन कर्मचारियों ने स्पष्ट रूप से अपनी स्थायी नियुक्ति की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि सरकार उनकी मांगों की अनदेखी करती है, तो वे मार्च के अंतिम सप्ताह में हड़ताल करने के लिए मजबूर होंगे। इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे प्रदेश नेता डॉ. सुमित कपाही ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने चुनाव के दौरान वादा किया था कि सरकार बनने के बाद सभी कच्चे कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा, लेकिन दुर्भाग्यवश अब तक एक भी कर्मचारी की नियमित नियुक्ति नहीं की गई है।

कर्मचारियों ने जोर देकर कहा कि पिछले 15 सालों से कच्चे स्वास्थ्य कर्मियों को ठेका प्रणाली के तहत आर्थिक और मानसिक शोषण का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति अस्वीकार्य है और कर्मचारियों की मेहनत का उचित मुआवजा मिलना चाहिए। एनएचएम में लगभग 10,000 स्वास्थ्य अधिकारी और कर्मचारी हैं, जो जल्द ही विरोध-प्रदर्शन करने और हड़ताल पर जाने का निर्णय ले सकते हैं।

इस संबंध में जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) डॉ. सुखविंदर कौर, डॉ. देव, डॉ. शोभना बंसल, नीरज शर्मा और मोनिका, विजय जैसे कई अन्य उपस्थित थे। इन सभी ने एक सुर में कहा कि सरकारी वादों को पूरा किया जाना चाहिए और कर्मचारियों के हक की रक्षा की जानी चाहिए। स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत कर्मियों का कहना है कि उनकी मेहनत और सेवाओं के आकलन के बिना कोई भी विकास संभव नहीं है, और वे अपनी मांगों के लिए लड़ाई जारी रखेंगे।

दूसरी ओर, एनएचएम के कर्मचारियों का यह संगठित आंदोलन सरकार के लिए एक चुनौती है। यदि उनकी मांगों का समाधान नहीं किया गया, तो इससे स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। कर्मचारियों ने यह भी उल्लेख किया कि उनकी हड़ताल स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित कर सकती है, जिससे जनता को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।

संक्षेप में, जालंधर के एनएचएम कर्मचारियों की स्थिति में सुधार आवश्यक है। उनकी स्थायी नियुक्तियों की मांग न केवल उनके लिए बल्कि पूरे स्वास्थ्य प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य विभाग को इस दिशा में ठोस कदम उठाते हुए कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए, ताकि वे अपनी सेवाओं में बिना किसी मानसिक दबाव के अपना सर्वश्रेष्ठ लगा सकें। यह सभी की जिम्मेदारी है कि वे कर्मचारियों के हक की रक्षा करें और उन्हें उचित सम्मान प्रदान करें।