उपायुक्त ने रविवार को राजस्व विभाग के पटवारियों और कानूनगों व अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक में कहा कि शिमला शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग रोजाना राजस्व कार्यों की समस्याएं लेकर कार्यालय पहुंच रहे हैं, लेकिन पटवारियों और कानूनगो की लेटलतीफी के कारण उनके काम लटके रहते हैं। उन्होंने दोनों एसडीएम को निर्देश दिए हैं कि एक सप्ताह के भीतर सभी लंबित फाइलों का निपटारा हर हाल में किया जाए। उपायुक्त ने कहा कि विभाग की छवि जनता के बीच बेहद खराब हो चुकी है, क्योंकि समय पर काम न होने और बेवजह देरी से लोगों का आक्रोश बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग की छवि सुधारने के लिए फील्ड स्टाफ को अपने व्यवहार और कार्यशैली में बदलाव लाना होगा।
उन्होंने निर्देश दिया कि शिमला ग्रामीण और शिमला शहरी में लंबित निशानदेही मामलों को निपटाने के लिए अब ऑफिस कानूनगो फील्ड में उतरेंगे और जिला राजस्व अधिकारी उनकी ड्यूटी निर्धारित करेंगे। यदि कोई ऑफिस कानूनगो फील्ड में नहीं गया, तो उस पर कड़ी कार्रवाई होगी।
उपायुक्त ने कहा कि सभी पटवारियों को एक महीने के भीतर अपने-अपने लंबरदारों, एसएचओ या थाना प्रभारी के साथ बैठक कर नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाना अनिवार्य होगा, क्योंकि चिट्टा मुक्त हिमाचल अभियान में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने निर्देश दिया कि सभी पटवारी अपने क्षेत्र के लंबरदारों के नियुक्ति पत्र जांचें और जिनके पास नियुक्ति पत्र नहीं हैं उनकी रिपोर्ट उपायुक्त कार्यालय में दें।
उन्होंने अफसरों से पूछा कि क्या वे चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट योजना के बच्चों से मिले हैं, जिस पर दोनों एसडीएम और फील्ड स्टाफ ने इनकार किया। उपायुक्त ने निर्देश दिया कि एक महीने के भीतर अधिकारी और फील्ड स्टाफ सभी बच्चों से मिलकर सुविधाओं की स्थिति की जांच करेंगे।
धारा 118 के तहत मिली अनुमति की अवहेलना पर भी उन्होंने चेतावनी दी और कहा कि यदि किसी भी मामले में रिपोर्ट मांगी जाती है तो इसे सात दिनों में भेजना अनिवार्य होगा। उन्होंने कहा कि बीच में कुछ पटवारियों ने गलत तरीके से महिला मंडल भवन की छत गिरने की रिपोर्ट जारी की, जबकि नियमों के अनुसार ऐसे मामलों की रिपोर्ट पटवारी नहीं दे सकते। यदि डैमेज रिपोर्ट रोजनामचे में दर्ज नहीं है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।