स्वर्ण मंदिर में श्रद्धालुओं का जनसैलाब, गुरु चरणों में अर्पित की अनंत श्रद्धा!

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**अमृतसर: बैसाखी का उत्सव धूमधाम से मनाया गया**

अमृतसर में विरसा विहार सोसायटी द्वारा आयोजित बैसाखी के सांस्कृतिक कार्यक्रम ने उत्सव का माहौल बना दिया। इस अवसर पर गिद्दा, भंगड़ा, और गीत-संगीत की मनमोहक प्रस्तुतियां दी गईं। कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों ने अपने अद्भुत प्रदर्शन से दर्शकों का दिल जीत लिया। स्टेप इन रिदम एकेडमी के संचालक रमन खुल्लर और एम-2 भंगड़ा एकेडमी के संचालक हरप्रीत सिंह के विद्यार्थियों ने गिद्दा और भंगड़ा की रंगीन नृत्य प्रस्तुतियां दीं। इसके अतिरिक्त, अभिनेता गुरतेज मान और कुशागर कालिया ने 1699 की बैसाखी पर आधारित धार्मिक कविता और गीत सुनाकर उपस्थित दर्शकों का मंत्रमुग्ध किया। विशेष रूप से, केवल कृष्ण ने 13 अप्रैल 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए एक कविता प्रस्तुत की।

**बैसाखी का पर्व धार्मिक और कृषि महत्व रखता है**

बैसाखी का पर्व सिख समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह त्योहार हर साल 13 अप्रैल को मनाया जाता है और सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की याद दिलाता है। उसी दिन गुरु जी ने पांच प्यारे को चुना, जिन्होंने अपने जीवन को सिख धर्म के संरक्षण और न्याय के लिए समर्पित करने का संकल्प लिया। यही कारण है कि बैसाखी के दौरान श्रद्धालु गुरु घरों में जाकर विशेष प्रार्थनाओं और कीर्तन में भाग लेते हैं। इस त्योहार का एक अन्य पहलू यह भी है कि किसान इस दिन अपनी मेहनत की फसल की बंपर उपज का जश्न मनाते हैं, जब गेहूं की फसल खेतों में सुनहरी होकर लहलहाती है।

**स्वर्ण मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़**

बैसाखी के पावन मौके पर स्वर्ण मंदिर में श्रद्धालुओं की एक भारी भीड़ उमड़ पड़ी। दूरदराज से आए हजारों श्रद्धालुओं ने गुरु नगरी का दौरा किया और हरमंदर साहिब में मत्था टेककर श्रद्धा अर्पित की। सुबह से ही शुरू हुई श्रद्धालुओं की आमद दोपहर तक जारी रही, जिससे पूरा परिसर भक्तों से भर गया। रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में सज समुदाय के विभिन्न वर्गों ने भक्ति में रंगे हुए अपने आध्यात्मिक अनुभव साझा किए। श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में स्नान किया और गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष मत्था टेककर अरदास की।

**विशेष सजावट और लंगर की व्यवस्था**

इस अवसर पर स्वर्ण मंदिर को विशेष रूप से सजाया गया था, जिसमें मनमोहक रोशनी की व्यवस्था की गई। श्रद्धालुओं ने कीर्तन और शबद-गायन में भाग लेकर आध्यात्मिक शांति का अनुभव किया। साथ ही, मंदिर परिसर में लंगर का आयोजन भी किया गया, जिसमें सभी ने मिल-जुलकर प्रेम और सद्भाव के साथ प्रसाद ग्रहण किया। इस प्रकार, बैसाखी का त्योहार न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह एक सामूहिक मिलन का अवसर भी है, जहां लोग एक साथ मिलकर भक्ति का आनंद लेते हैं।