रविन्द्र मंच पर ‘जय भीम’ की धमाकेदार प्रस्तुति: डॉ. अंबेडकर के संघर्ष की प्रेरक कहानी!

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भारत के प्रसिद्ध सामाजिक सुधारक और संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के जीवन पर आधारित नाटक ‘जय भीम’ का आयोजन कण्डेरा मीडिया मूवी थियेटर संस्थान द्वारा रविवार को रविन्द्र मंच के मिनी थिएटर में किया गया। इस नाटक का लेखन और निर्देशन प्रेम चन्द कण्डेरा ने किया। इस नाटक ने डॉ. अंबेडकर के जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया, जिसमें उनके कठिनाइयों के बावजूद शिक्षा के क्षेत्र में प्राप्त की गई उपलब्धियों से लेकर उनके निधन तक की यात्रा को शामिल किया गया है।

नाटक में यह दिखाया गया कि किस प्रकार डॉ. अंबेडकर ने सामाजिक भेदभाव, जातिवाद और आर्थिक संकटों का सामना करते हुए शिक्षा में उत्कृष्टता हासिल की। उनका बचपन बहुत ही चुनौतीपूर्ण था, जहां उन्होंने तिरस्कार और उपेक्षा का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। विवाह के बाद भी परिवार की आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, वे अमेरिका और लंदन की प्रतिष्ठित संस्थानों से शिक्षा लेने का साहस जुटाने में सफल रहे। इस प्रकार, उन्होंने अपने शिक्षा जीवन की नींव रखी, जो आगे चलकर उनके सामाजिक जीवन में महत्त्वपूर्ण साबित हुई।

नाटक में यह भी दर्शाया गया कि किस प्रकार डॉ. अंबेडकर ने बड़ौदा राज्य और विभिन्न कॉलेजों में काम करते हुए न केवल अपने लिए बल्कि समस्त समाज के लिए समानता और अधिकारों के संघर्ष में भाग लिया। वे समाज में आ रहे भेदभाव और अन्याय के खिलाफ खड़े हुए, जिससे उनके जीवन की कहानी दर्शकों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गई। हर एक दृश्य में उनके संघर्ष की गहराई और उनकी सामाजिक न्याय पाने की इच्छा को दर्शाया गया, जो दर्शकों के मन में गहरा प्रभाव छोड़ गया।

इस मंचन में कई प्रमुख कलाकारों ने शानदार अभिनय किया। नाटक में मुख्य भूमिका निभाने वाले कलाकारों में शालिनी सिंह कण्डेरा, अनामिका सिंह कण्डेरा, प्रेम सिंह, चेतन प्रकाश महावर, विनय बिन्दल, रिया सिंह कण्डेरा, और कई अन्य अभिनेता शामिल रहे। उनका अभिनय न केवल कहानी को जीवंत करने में सहायक रहा, बल्कि उन्होंने दर्शकों को भी डॉ. अंबेडकर के जीवन की सही समझ प्रदान की।

पूरे नाटक में संगीत और दृश्य प्रभावों का भी उपयोग किया गया, जो इसे और भी रोचक और संप्रेषणीय बनाते हैं। ‘जय भीम’ को देखने के बाद दर्शकों को डॉ. अंबेडकर के प्रति न केवल सम्मान जागृत हुआ, बल्कि उन्होंने उनकी शिक्षा और संघर्ष की प्रेरणा को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा भी प्राप्त की। इस तरह, ‘जय भीम’ ने डॉ. अंबेडकर के जीवन की महत्ता को एक नई दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया, जो आने वाले समय में और अधिक दर्शकों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।