भारत में रहने की जिद: पाक से आए हिंदू परिवारों की अटारी बंद होने पर चिंता!

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22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने अटारी सीमा को बंद करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस निर्णय का सीधा प्रभाव राजस्थान में रहने वाले पाक विस्थापित हिंदू परिवारों पर पड़ रहा है। इन परिवारों ने धार्मिक वीजा पर भारत यात्रा की थी, लेकिन अब उन्हें जल्दी ही वापस पाकिस्तान लौटने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। हाल के समय में, इस समस्या से जूझने वाले परिवारों में से एक, जोधपुर में ठहरे सदौरी का परिवार भी है। उन्होंने सरकार के इस निर्णय के बाद अपनी स्थिति के बारे में बताया।

जोधपुर सही समय पर एंट्री करने की उम्मीद से यहाँ पहुंचे सदौरी का 13 सदस्यीय परिवार अब यहां से लौटने की तैयारियों में जुटा है। सदौरी ने खुलासा किया कि उनका परिवार 27 मार्च को जोधपुर आया था, यह सोचकर कि बाकी सदस्य वीजा प्राप्त कर के उनके पास जल्द पहुँचेंगे। लेकिन हालिया आतंकवादी हमले ने स्थिति को गंभीर बना दिया, जिससे उन्हें वापस पाकिस्तान लौटने का निर्णय लेना पड़ रहा है। सदौरी का परिवार महादेव भील बस्ती में रह रहा है, और वे भारत में स्थायी रूप से बसना चाहती थीं, लेकिन परिवार में हो रहे दुखद घटनाक्रम के चलते उन्हें यहाँ से लौटना पड़ रहा है।

इसर, सदौरी के बेटे ने भी अपनी चिंता व्यक्त की। वह अपने परिवार के साथ जोधपुर में हैं और उन्होंने कहा कि उनका वीजा 25 अप्रैल तक है। अगर वे वापस नहीं लौटे, तो परिवार से बिछड़ने का डर सता रहा है। इसर का परिवार पाकिस्तान के सांगड़ से हैं और उन्होंने अपनी जड़ें यहाँ की हैं। वे यहाँ रहने का मन बना चुके थे, लेकिन अब उनकी परिस्थितियों को देखते हुए जल्दी लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।

इस परिवार की तरह, अन्य कई विस्थापित परिवार भी अब जल्दी लौटने की तैयारी कर रहे हैं। पाक विस्थापित मेवाराम ने बताया कि उनका परिवार भी इसलिए लौट रहा है क्योंकि सीमा पर स्थिति बिगड़ गई है। मेवाराम ने पाकिस्तान में रहने की सच्चाइयों का खुलासा करते हुए कहा कि वहां हिंदुओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। धार्मिक स्वतंत्रता की कमी और सुरक्षा का खतरा बढ़ने के कारण वे यहाँ आना चाहते थे।

इस स्थिति के चलते, सीमांत लोक संगठन के हिंदू सिंह सोढ़ा ने भारत सरकार से अपील की है कि पाकिस्तान से आए इन हिंदू परिवारों को नागरिकता प्रदान की जाए, ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। उन्होंने बताया कि कई विस्थापित परिवारों के पास उनके स्थानीय अधिकारियों द्वारा यह संदेश आया है कि उन्हें पाकिस्तान लौटना होगा, जिससे वे और अधिक चिंतित हैं। ऐसे में, यह समय है कि सरकार इन परिवारों की सुरक्षा और स्थायित्व के लिए कदम उठाए।

इस तरह, पहलगाम आतंकी हमले का असर केवल सुरक्षा विषयों पर नहीं, बल्कि शरणार्थियों के जीवन पर भी गहरा प्रभाव डाल रहा है। अब देखना यह है कि भारत सरकार आगे किस तरह की नीति बनाती है ताकि इन विस्थापित परिवारों के जीवन में स्थिरता बनी रहे।