बिठूर महोत्सव के दौरान कानपुर पहुंचे प्रसिद्ध भजन गायक अनूप जलोटा ने अपने कानपुर के पुराने रिश्तों को याद किया। उन्होंने कहा कि उनका शहर कानपुर से गहरा नाता रहा है। उन्होंने अपनी यादों को ताजा करते हुए बताया कि वह करीब 20 साल लखनऊ में बिता चुके हैं और उसके बाद मुंबई में बस गए। क्रिकेट के प्रति अपने जुनून को साझा करते हुए जलोटा ने कहा कि वह वेस्पा स्कूटर पर कानपुर आकर मैच देखने जाया करते थे और उन्हें याद है कि उन्होंने क्रिकेटर विश्वनाथ की फर्स्ट इनिंग में जीरो और सेकेंड इनिंग में 116 रन बनाते देखा था। कानपुर की यादें उनके लिए बहुत खास हैं, और उनका कहना था कि काशी और अयोध्या के बाद अब बिठूर की बारी है।
भजन संध्या की शुरुआत में अनूप जलोटा ने श्रीराम के भजनों का गायन किया। उन्होंने अपने कीर्तन में गाया कि “काशी बदली, अयोध्या बदली, अब बिठूर की बारी है,” यह दर्शाते हुए कि अयोध्या स्वर्ग के समान बन गई है, लेकिन काम यहीं खत्म नहीं होगा। फिर उन्होंने मथुरा से जुड़े भजन गाते हुए लोगों को आनंदित किया, जिसमें उन्होंने कहा कि “राम खड़े हैं लिए धनुष, अब बंशी बजने वाली है।” जलोटा ने भजन में आगे कहा कि “मेरे मन में राम, तन में राम… राम में ध्यान लगा ले, छोड़ जगत के काम रे।” इस भजन संध्या में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए और एक घंटे तक लोग उनके भजनों पर झूमते रहे।
भजन संध्या से पहले, प्रिंस डांस ग्रुप ने भगवान श्रीकृष्ण और भारतीय तिरंगे से संबंधित एक शानदार नृत्य प्रस्तुति दी। इसके बाद रमाक्षीर सागर और पुणे की टीम ने ‘गोदावरी से गंगा-जमुना तक’ के主题 पर लोक गीतों की शानदार प्रस्तुति दी। इसके साथ ही, विनोद कुमार द्विवेदी और आयुष द्विवेदी ने ध्रुपद गायन कर दर्शकों का मन मोह लिया।
आज महोत्सव के दूसरे दिन सुबह साढ़े 10 बजे से दोपहर डेढ़ बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें नृत्य, गायन और लघु नाटिका का मंचन होगा। इसके अलावा, दोपहर दो बजे से शाम चार बजे तक क्विज प्रतियोगिता का भी आयोजन होगा। शाम चार से छह बजे तक स्थानीय कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का मनोरंजन करेंगे। इसके बाद शाम 6 से 8 बजे तक रामायण पर आधारित नाट्य प्रस्तुति का आयोजन किया जाएगा। रात 8 बजे कवि सम्मेलन होगा, जिसमें प्रमुख कवि जैसे शंभू शिखर, शबीना अदीब, हरिओम पंवार, डॉ. सुनील जोगी, प्रवीण शुक्ला, शशिकांत यादव, कमलेश शर्मा, और अभय निर्भीक अपनी अपनी रचनाओं का पाठ करेंगे। इस समूचे महोत्सव ने कानपुरवासियों के दिलों में एक नई उमंग और उत्साह भर दिया है।