हाल ही में अमेरिका से भारत लौटे कुछ भारतीयों को हथकड़ियों में डालकर भारत भेजे जाने की घटना ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। यह मुद्दा इतना गंभीर हो गया है कि विपक्षी दलों के साथ-साथ विभिन्न गैर-राजनीतिक समूह भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। पंजाब के जालंधर में भारतीय किसान यूनियन राजेवाल के सदस्यों ने इस संदर्भ में केंद्र सरकार और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान बड़ी संख्या में किसान एकत्रित हुए और अपनी आवाज़ उठाई।
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि देश में बेरोजगारी की दर बढ़ती जा रही है, जिससे युवाओं के सामने भविष्य की चिंता बढ़ती जा रही है। इस स्थिति का फायदा उठाकर पंजाब में अवैध यात्रा कराने वाले एजेंट सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने शरीफ लोगों को लुभाने के लिए गलत तरीके अपनाए हैं, जो कि लंबे समय से चल रहा है। राजेवाल ने यह भी बताया कि भारतीय नागरिकों को 40 घंटे तक हथकड़ियों में रखा गया, जो कि मानवता के खिलाफ है। उनकी बातों से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका द्वारा किए गए इस बर्ताव को अपमानजनक मानते हुए, राजेवाल ने इसे विरोध का कारण बना दिया है।
प्रदर्शन के दौरान बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि जब भारतीयों को अवैध रूप से देश से निकाला जा रहा है, तब कोई उच्चस्तरीय आवाज नहीं उठ रही। उन्होंने मांग की कि पकड़े गए भारतीयों को संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय दूतावास के माध्यम से वापस भेजा जाए, ताकि उन्हें सही तरीके से अपने देश लौटाया जा सके। इसके साथ ही, राजेवाल ने यह भी कहा कि अमृतसर जैसे सीमा क्षेत्रों में अमेरिका के विमानों का उतरना भी एक बड़ा मुद्दा है, जो गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
दिल्ली चुनावों पर चर्चा करते हुए बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि सभी राजनीतिक दल एक जैसे हैं। चाहे वह आम आदमी पार्टी हो या बीजेपी, सभी चुनावों के दौरान शराब परोसकर और वोट खरीदकर अपनी स्थिति मजबूत करते हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि आम आदमी पार्टी की दिल्ली में हुई हार उसके स्वयं के कार्यों का परिणाम है। ऐसे में, उन्होंने जनता से अपील की कि वे सतर्क रहें और इस तरह के राजनीतिक खेलों को समझें।
इस मुद्दे ने न केवल देश में राजनीतिक द्वंद्व को बढ़ाया है, बल्कि यह समाज के विभिन्न वर्गों के बीच असंतोष और चिंता का विषय बन गया है। जिन लोगों को इस तरह से अपमानित किया गया है, उनकी पीड़ा और असंतोष को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। राजेवाल के नेतृत्व में हो रहे प्रदर्शनों से यह स्पष्ट होता है कि लोग अब अपनी आवाज़ उठाने के लिए तैयार हैं और वे चाहते हैं कि उनके अधिकारों का सम्मान किया जाए।