सम्मेद शिखर में 12 मार्च को आदिवासी समाज का जुटान

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सम्मेद शिखर में 12 मार्च को आदिवासी समाज का जुटान

गिरिडीह, 11 फ़रवरी (हि.स.)। जैन धर्मावलम्बियों के 20 तीर्थंकर के निर्वाण सम्मेद शिखर और प्राकृतिक उपासक आदिवासियों के प्रधान मारंग बुरु जुग जाहेरथान पारसनाथ पर्वत को लेकर प्राकृतिक उपासकों ने एक बार फिर बड़े आंदोलन का अल्टीमेटम दिया है।

पारसनाथ का अतिक्रमण करने का आरोप लगाते हुए संथालियों के पूजन स्थल मरांग बुरु दिशोम मांझीथान के सुधीर बास्के ने कहा कि आदिवासियों के पूजन स्थल मरांग बुरु का अतिक्रमण सहन नहीं होगा। आंदोलन के प्रथम चरण में 12 मार्च को देश के कई राज्यों के आदिवासी समाज के बुद्धिजीवियों का जुटान मधुबन में होगा। इसमें आंदोलन की रूप रेखा तय होगी । हालांकि अतिक्रमण का आरोप किन पर है ये सुधीर बास्के ने स्पष्ट नहीं किया है। लेकिन 12 मार्च को एक बड़े आंदोलन का अल्टीमेटम दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि चार साल पहले भी सम्मेद शिखर मधुबन के पारसनाथ पहाड़ को लेकर विवाद हुआ था । एक तरफ जैन समाज ने बड़े व्यापक पैमाने पर आंदोलन करते हुए देश भर में प्रदर्शन किया था । दूसरी तरफ झारखंड, बिहार, ओड़िशा और बंगाल के हजारों की संख्या में आदिवासी नेताओं के साथ युवाओं का जुटान मधुबन में हुआ था। इस दौरान मामले की गंभीरता को समझते हुए जिला पुलिस प्रशासन ने शांतिपूर्ण माहाैल में दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर विवाद बढ़ने से रोक दिया था। लेकिन एक बार फिर चार साल बाद 12 मार्च को संताली समाज आंदोलन का बिगुल फूंकने की तैयारी में है।

पारसनाथ पर्वत को आदिवासी समाज मारंगबुरु पर्वत के रूप में मानते हैं । पर्वत पर प्राचीन जुग जाहेरथान – माझीथान जहां प्राकृति उपासकों की पूजा अर्चना की परम्परा रही है। दूसरी ओर जैन धर्म के 24 में से 20 तीथंकरों की निर्वाणधरा सम्मेद शिखर है। जहां जैनाचार्यो ने मोक्ष प्राप्त किया । जैन समाज के लिए सम्मेद शिखर तीर्थराज माना जाता है।

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