उद्यमिता विकास में जनजातीय महिलाओं की भूमिका सर्वोपरि : प्रो. बंसल

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उद्यमिता विकास में जनजातीय महिलाओं की भूमिका सर्वोपरि : प्रो. बंसल

धर्मशाला, 13 फ़रवरी (हि.स.)। हिमाचल विश्वविद्यालय में आईसीएसएसआर की ओर से प्रायोजित “आदिवासी महिला उद्यमियों को सशक्त बनाना: एसडीजी 8, सभ्य कार्य और आर्थिक विकास की उपलब्धि का आंकलन” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन गुरूवार काे धौलाधार परिसर में आयोजित किया गया। इस मौके पर सीयू के कुलपति प्रोफेसर एसपी बंसल बतौर मुख्यातिथि रहे। यह संगोष्ठी वाणिज्य विभाग, वाणिज्य और प्रबंधन अध्ययन स्कूल द्वारा आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आईक्यूएसी) और वाणिज्य और प्रबंधन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सहयोग से आयोजित की गई।

सम्मलेन की उपयोगिता के विषय पर प्रकाश डालते हुए सम्मेल्लन की समन्वयक डॉ. गीतांजलि ने कहा कि अपनी क्षमता के बावजूद, आदिवासी महिलाएं वित्त, शिक्षा और बाजार के अवसरों तक सीमित पहुंच जैसी महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करती हैं।

वहीं मुख्ययतिथि कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने कहा कि विवि ने कुछ गांव गोद लिए हैं, वहां पर कुछ सेल्फ हेल्प ग्रुप काम कर रहे हैं। महिलाओं को सशक्त बनाए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आदिवासी महिलाओं की सहायता किस करह से की जा सकती है, इसके बारे में इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में चर्चा की गई। कई महिलाओं ने कई क्षेत्रों में सफलता हासिल की है उनके विचार सुनने को मिले।

वहीं वाणिज्य विभाग के अध्यक्ष प्रो मोहिंदर सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और कहा की लगभग 14 राज्यों से शोधार्थी और शिक्षक इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन में भाग ले रहे हैं। आभासी पटल के माध्यम से अतिथि प्रो. गुलज़ानात तयौवा, तुर्की विश्वविद्यालय, अल्माटी कजाकिस्तान उपस्थित रहीं। कजाकिस्तान की डॉ. गुलज़ानात तयौवा ने वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर जोर दिया।

पहले सत्र में प्रो सूर्यारश्मि रावत ने धन्यवाद भाषण ज्ञापित किया। सम्मेलन में तकनिकी सत्र में विभिन्न शिक्षकों और शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये जिनमें विशेष रूप से महिला स्वावलंबन जैसे महत्वपूर्ण विषय पर सार्थक चर्चा भी की। समापन सत्र के मुख्य अतिथियों प्रो. प्रदीप नैयर और प्रो. सुनील कुमार ठाकुर ने संस्थागत समर्थन और अनुसंधान-आधारित नीतियों पर जोर दिया। प्रो. दिपांकर शर्मा ने आदिवासी महिलाओं के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देने में संगोष्ठी के महत्व पर प्रकाश डाला। ताजिकिस्तान के प्रो. सासोझोदा अब्दुलमाजिद करीम ने महिला सशक्तिकरण के अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण पर जोर दिया।