अमृतसर ग्रेनेड हमले की सूचना पहले से थी! कांग्रेस नेता के खुलासे ने हिला कर रख दिया।

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पंजाब के अमृतसर जिले के जैंतीपुर गांव में हाल ही में हुए एक गंभीर ग्रेनेड हमले ने पूरे क्षेत्र में खलबली मचा दी है। यह घटना बुधवार शाम को हुई, लेकिन इस हमले के कुछ ही दिन पहले कांग्रेस नेता और शराब व्यापारी अमनदीप जैंतीपुर ने पुलिस को गंभीर धमकियों की शिकायत की थी। वह गैंगस्टर हैप्पी पासिया से जान से मारने की धमकियां प्राप्त कर रहे थे। अमनदीप ने पुलिस में शिकायत में बताया था कि गैंगस्टर उनसे पैसे मांग रहा था, जिसके चलते उनकी जान को खतरा हो गया है।

सूत्रों के अनुसार, अमनदीप ने स्थानीय पुलिस से सुरक्षा की मांग की थी और गैंगस्टर के द्वारा किए गए फोन कॉल्स की रिकॉर्डिंग भी पुलिस को सौंपी थी। हालाँकि, अब यह जांच का विषय है कि अमृतसर ग्रामीण पुलिस ने इन शिकायतों पर कितनी गंभीरता से कार्यवाही की। जिले की पुलिस इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है, जबकि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी यह सुनिश्चित करने में असमर्थ प्रतीत हो रहे हैं कि उन्होंने शिकायत का उचित पालन किया या नहीं।

इस बीच, शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने सोशल मीडिया के माध्यम से राज्य सरकार को कटाक्ष किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब में कानून-व्यवस्था की स्थिति तेजी से बिगड़ती जा रही है और लोग पुलिस के पास जाने की बजाय गैंगस्टरों को पैसे देकर चुप रहना पसंद कर रहे हैं। मजीठिया का यह बयान स्थिति की गंभीरता को और दर्शाता है, क्योंकि यह दर्शाता है कि आम नागरिक एक सुरक्षा नेटवर्क की उम्मीद छोड़ते जा रहे हैं।

अमनदीप के पिता, पप्पू जैंतीपुर, जिनका निधन 2024 में हुआ था, क्षेत्र के एक प्रसिद्ध शराब ठेकेदार थे। उन्हें भी पूर्व में धमकियां मिलती रही थीं। अब इस घटना के संदर्भ में पुलिस पुरानी शिकायतों को जबरन वसूली के मामले से जोड़कर देख रही है। पुलिस की यह हरकत यह संकेत करती है कि कहीं न कहीं अवैध गतिविधियों और संगठित अपराध के बीच गहरी सांठ-गांठ हो रही है।

कांग्रेस सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी इस मामले में अपनी राय व्यक्त की है। उन्होंने पुलिस की लापरवाही को इस हमले के पीछे की मुख्य वजह बताया। रंधावा ने सवाल उठाया कि जब अमनदीप ने गैंगस्टर हैप्पी पासिया की धमकियों के सबूत दिए थे, तो पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से क्यों नहीं लिया। इसके बाद हैप्पी पासिया गैंग ने खुद इस हमले की जिम्मेदारी ली है, जो यह बयां करता है कि पुलिस और अपराधियों के बीच आपसी सांठ-गांठ का क्या हाल है।

इस घटनाक्रम ने न केवल अमृतसर के स्थानीय लोगों को चिंतित किया है, बल्कि राज्य की कानून-व्यवस्था पर भी सवाल उठाए हैं। अब यह देखना होगा कि पुलिस इस मामले में क्या कदम उठाएगी और आम जनता के बीच सुरक्षा के विश्वास को फिर से कैसे बहाल करेगी।