बलिदानियों का सपना और आज का भारत विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित
रायगढ़, 21 दिसंबर (हि.स.)।स्वतंत्रता संग्राम के अमर नायक बलिदानी अशफाकउल्ला खान, रामप्रसाद बिस्मिल और ठाकुर रोशन सिंह बलिदान को याद करते हुए रायगढ़ के मुस्लिम सराय, इंदिरा नगर में आज सर्व मुस्लिम समाज द्वारा “बलिदानियों का सपना और आज का भारत” विषय पर एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई। इस अवसर पर वक्ताओं ने स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बलिदान और उनके सपनों की चर्चा की।
19 दिसंबर 1927, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास का वह दिन है जब इन तीनों महान क्रांतिकारियों को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी के फंदे पर लटका दिया। 9 अगस्त 1925 को हुए ऐतिहासिक काकोरी कांड में ब्रिटिश खजाना लूटकर स्वतंत्रता संग्राम के लिए हथियार जुटाने की योजना ने अंग्रेजी शासन की नींव हिला दी थी। इस घटना में अशफाकउल्ला खान, रामप्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह और राजेंद्र लहरी को गिरफ्तार कर फांसी की सजा सुनाई गई।
गोष्ठी में रायगढ़ के प्रमुख शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। वक्ताओं ने बलिदानियों के सपनों और उनके योगदान पर प्रकाश डाला।कन्हैया पटेल (पूर्व प्राचार्य)ने कहा कि बलिदानियों ने एक ऐसा भारत देखा था, जहां समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व का बोलबाला हो।मदन पटेल (संयोजक, संयुक्त किसान मोर्चा)ने वर्तमान भारत की चुनौतियों की चर्चा की और कहा कि उनके सपने आज भी अधूरे हैं।शाहबाज रिजवी (अध्यक्ष, बहुजन समाज पार्टी)ने भारत के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप पर हो रहे खतरे की ओर ध्यान आकर्षित किया।गोष्ठी में यह बात प्रमुखता से उभरी कि बलिदानियों ने जिस समानता और समतामूलक समाज का सपना देखा था, वह अब भी अधूरा है।बेरोजगारी और अशिक्षा चरम पर हैं।स्वास्थ्य सेवाएं अमीरों तक सीमित हैं।संसाधनों पर गिने-चुने लोगों का कब्जा है।
संविधान प्रदत्त अधिकारों का क्रियान्वयन बेहद कमजोर है।गोष्ठी में सभी ने मिलकर संविधान की रक्षा और बलिदानियों के सपनों को साकार करने का संकल्प लिया। वक्ताओं ने कहा कि संविधान बलिदानियों के सपनों की पांडुलिपि है, और इसे सुरक्षित रखना हर नागरिक का कर्तव्य है।
गोष्ठी का समापन सर्व मुस्लिम समाज की ओर से आरिफ हुसैन ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए किया।
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