काशी व मथुरा के मुद्दे पर पुनर्विचार करें रामदेव : शान्ता कुमार
शिमला, 24 दिसंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शान्ता कुमार ने योग गुरु स्वामी रामदेव से अपील की है कि वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत द्वारा दिए गए सुझाव पर पुनर्विचार करें, विशेष रूप से काशी और मथुरा जैसे विवादित धार्मिक स्थलों को लेकर।
शान्ता कुमार ने मंगलवार को जारी बयान में स्वामी रामदेव के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि योग गुरु ने योग को घर-घर तक पहुंचाने और महात्मा गांधी के स्वदेशी के सपने को साकार करने के साथ-साथ लाखों लोगों को रोजगार भी प्रदान किया। शान्ता कुमार ने यह भी कहा कि काशी और मथुरा के मुद्दे पर स्वामी रामदेव को पुनर्विचार करना चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने कई सालों तक गुलामी के दिन देखे और इस दौरान हमारे हजारों मंदिरों को तोड़ा गया लेकिन अब वह आक्रमणकारी चले गए हैं। स्वामी रामदेव ने कहा है कि हमें उस अत्याचार का बदला लेना चाहिए, लेकिन वह अत्याचारी अब हमारे बीच नहीं हैं। उन्होंने डॉ. भागवत के सुझाव पर कहा कि पूरे भारत को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। जैसे सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया और अयोध्या में राम मंदिर भी बन गया, वैसे ही काशी और मथुरा के मुद्दे पर हिंदू-मुस्लिम नेताओं को मिलकर समझौता करना चाहिए। इन स्थानों को मुकदमेबाजी से बचाकर हिंदुओं को सौंप देना चाहिए क्योंकि ये स्थान भारत की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि काशी और मथुरा विवाद को सुलझाने के बाद डॉ. भागवत के सुझाव को गंभीरता से लागू किया जाना चाहिए और पूरे देश को एक ऐसा कानून लागू करना चाहिए, जिसके तहत 1947 के बाद धार्मिक स्थलों की स्थिति नहीं बदली जा सकती।
शान्ता कुमार ने कहा कि हजारों साल पुराना इतिहास बदला नहीं जा सकता। भारत में विदेशी आक्रमणकारी आए जिन्होंने मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाईं, लेकिन वह समय अब बीत चुका है। आज का मुसलमान उन हिन्दुओं का वंशज है जिन्होंने किसी कारणवश अपना धर्म बदला था। उन्होंने याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मुहम्मद करीम छागला ने भी स्वीकार किया था, “मेरी रगों में हिन्दू ऋषि-मुनियों का खून दौड़ता है, मेरे बुजुर्गों ने केवल पूजा करने का तरीका बदला था।”
—————