बिट्टू के दबाव में झुकी पंजाब पुलिस: शराब मामले में BJP कार्यकर्ताओं की रिहाई!

Share

पंजाब में नगर निगम चुनाव के प्रचार के अंतिम दिन शराब और राशन के वितरण का मामला गरमा गया है, जिसके चलते केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने धरना समाप्त कर दिया है। यह घटनाक्रम तब हुआ, जब पुलिस ने गिरफ्तार किए गए भाजपा नेताओं को रिहा कर दिया। बिट्टू ने मांग की थी कि भाजपा नेताओं को तुरंत मुक्त किया जाए, और यदि ऐसा नहीं हुआ तो वह भी गिरफ्तारी देने के लिए तैयार हैं। इस मामले में भाजपा उम्मीदवार के पति पर भी FIR दर्ज की गई है। इसके अलावा, वार्ड नंबर-38 में AAP विधायक राजिंद्रपाल कौर छीना ने एक भाजपा समर्थक की कार को रोका, जिसमें शराब की पेटियां थी। चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद की ये घटनाएं थोड़ी विवादास्पद बनी हुई हैं और उनकी जांच जारी है।

आम आदमी पार्टी (AAP) के कार्यकर्ताओं को लुधियाना के वार्ड-65 में वोटरों को राशन बांटते हुए पकड़ा गया था। इसी प्रकार, वार्ड-26 में AAP कार्यकर्ताओं को एक ऐसी गाड़ी से पकड़ा गया, जिसमें शराब भरी हुई थी। रवनीत सिंह बिट्टू ने एसीपी विनोद भनोट को हटाने की मांग की है, क्योंकि उनका संबंध विधायक अशोक पराशर पप्पी से बताया जा रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस के कुछ अधिकारी भाजपा कार्यकर्ताओं को परेशान कर रहे हैं। आज सभी भाजपा पदाधिकारी पुलिस कमिश्नर कार्यालय में अपनी गिरफ्तारी देने के लिए पहुंचने वाले हैं।

लुधियाना में वार्ड नंबर-75 में AAP एवं भाजपा समर्थकों के बीच एक अप्रत्याशित भिड़ंत हुई। AAP उम्मीदवार सिमरनप्रीत कौर के पति और भाजपा उम्मीदवार के पति के बीच विवाद तब बढ़ा जब AAP कार्यकर्ताओं ने भाजपा उम्मीदवार के पति पर चुनाव प्रचार के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। दोनों पक्षों में तीखी नोकझोंक हुई और केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू भी मौके पर पहुंचे। यहां पर मौके पर मौजूद पुलिस ने स्थिति को संभाला और जांच शुरू की।

इसके अलावा, वार्ड 38 में एक भाजपा समर्थक की गाड़ी को AAP विधायक राजिंद्रपाल कौर छीना ने रोका। जांच के दौरान गाड़ी से शराब की पेटियां बरामद हुईं। इसके अलावा, वार्ड 26 में एक ऐसे मिनी टेंपो की भी पहचान की गई जिसमें शराब की पेटियां थीं, जिसे AAP कार्यकर्ताओं के द्वारा लाया गया था। यह घटनाएं चुनाव प्रचार की निष्पक्षता पर सवाल उठाती हैं और पुलिस इन मामलों की गंभीरता से जांच कर रही है।

नागरिकों के वोट डालने के अधिकार को सुरक्षित रखने और चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए यह आवश्यक है कि सक्षम प्राधिकरण इन मामलों की पूरी तरह से जांच करें और जो भी कानून का उल्लंघन कर रहा है, उसे सजा दी जाए। इस बार के नगर निगम चुनाव में इन घटनाओं ने राजनीति की एक अलग दिशा को उजागर किया है और इससे साफ होता है कि राजनीतिक संगठनों के बीच की प्रतिस्पर्धा कितनी तीव्र हो चुकी है।