चंडीगढ़ के शहीद-ए-आजम भगत सिंह एयरपोर्ट पर भगत सिंह की प्रतिमा के उद्घाटन को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आज एक बड़ा ऐलान किया। इस अवसर पर जब पंजाब के भाजपा नेता चंडीगढ़ पहुंचे, तो उन्हें पुलिस द्वारा रोक लिया गया, जिसके परिणामस्वरूप वहाँ धक्का-मुक्की की स्थिति उत्पन्न हो गई। इसके बाद कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया। उल्लेखनीय है कि पंजाब सरकार द्वारा इस प्रतिमा का उद्घाटन 4 दिसंबर को किया जाएगा, लेकिन भाजपा ने इससे पूर्व ही 72 घंटे के अंदर उद्घाटन करने का अल्टीमेटम दिया था, जो कि शनिवार (1 दिसंबर) को समाप्त हो गया।
भाजपा नेताओं ने आज शहीद-ए-आजम भगत सिंह एयरपोर्ट पर प्रतिमा के उद्घाटन की योजना बनाई थी, किंतु इस बीच पंजाब सरकार ने पहले ही इस प्रतिमा के उद्घाटन की तिथि घोषित कर दी है। मोहाली की डीसी, आशिका जैन ने बताया कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान 4 दिसंबर 2024 को शहीद भगत सिंह की प्रतिमा का उद्घाटन करेंगे। इस विषय पर भाजपा के स्थानीय सांसद मलविंदर सिंह कंग ने आरोप लगाया कि भाजपा ने पिछले दस वर्षों में हमारे माध्यम से एयरपोर्ट के नाम को लेकर कोई सकारात्मक प्रयास नहीं किए और हमेशा इसे भगत सिंह के नाम पर न रखने का विरोध किया। उन्होंने यह भी बताया कि हरियाणा भाजपा के नेताओं की वजह से एयरपोर्ट का नाम मंगल सेन के नाम पर रखने की इच्छा जताई जाती थी।
आम आदमी पार्टी (आप) के प्रवक्ता नील गर्ग ने बताया कि चुनाव आचार संहिता के चलते कई काम रुक गए थे। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को भाजपा ने पंजाब सरकार को अल्टीमेटम दिया था कि भगत सिंह की प्रतिमा से पर्दा हटाया जाए। इस प्रतिमा पर पिछले छह महीनों से पर्दा पड़ा हुआ है, जो अब बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उनकी बातों से यह स्पष्ट होता है कि भाजपा युवा पीढ़ी के साथ मिलकर इसे उद्घाटन करने की योजना बना रही है।
यह ध्यान देना जरूरी है कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 35 फीट ऊंची प्रतिमा उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए मोहाली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर स्थापित की गई थी। इस प्रतिमा का उद्घाटन मुख्यमंत्री भगवंत मान को 28 सितंबर को करना था, लेकिन उनकी तबीयत खराब होने के कारण यह कार्य अधूरा रह गया था। अब पंजाब में राजनीतिक दलों के बीच यह मामला गर्माने लगा है, जिसके परिणामस्वरूप न केवल राजनीतिक संघर्ष बढ़ा है, बल्कि यह दर्शाता है कि भगत सिंह की विरासत के प्रति विभिन्न दलों की नीतियां और दृष्टिकोण अलग-अलग हैं।
कुल मिलाकर, यह घटना न केवल भाजपा और पंजाब सरकार के बीच बढ़ती तनातनी का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि किस तरह से राजनीति और देशभक्ति का संदर्भ कब और कैसे प्रभावित होता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि 4 दिसंबर को होने वाले उद्घाटन समारोह के दौरान राजनीतिक पारा कैसे रहता है।