बंद कमरे में डेरा ब्यास प्रमुख की हरियाणा गुरुद्वारा प्रधान से गुप्त बैठक!

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**संत बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों का सिरसा दौरा: धरोहर के प्रति श्रद्धा की भावना का प्रदर्शन**

हाल ही में डेरा ब्यास के प्रमुख संत बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों और उनके उत्तराधिकारी बाबा जसदीप सिंह गिल ने सिरसा क्षेत्र के प्रसिद्ध गुरुद्वारा गुरु ग्रंथसर दादू साहिब में अपनी उपस्थिति दर्ज की। इस दौरान उन्होंने श्रद्धा के साथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष माथा टेका और दर्शन किए। इस विशेष अवसर पर जत्थेदार दादूवाल के साथ एक बंद कमरे में उनकी मुलाकात भी हुई, जिसका उद्देश्य सिख धर्म के प्रचार-प्रसार संबंधी मुद्दों पर चर्चा करना था।

गुरुद्वारा गुरु ग्रंथसर दादू साहिब न केवल सिखों के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, बल्कि यह संप्रदाय के प्रसिद्ध प्रचारक जत्थेदार बलजीत सिंह दादूवाल का भी मुख्य स्थान है। उनका प्रयास सिख धर्म को फैलाने और उसकी सच्चाई को जन-जन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बाबा गुरिंदर सिंह के दादू पहुंचने की सूचना फैलते ही श्रद्धालुओं की एक बड़ी भीड़ ने गुरुद्वारे का रुख किया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने भी गुरु के प्रति अपनी अटूट श्रद्धा को प्रकट करते हुए माथा टेकने के लिए लाइन लगाई और गुरु के वचनों से आत्मिक सुख प्राप्त किया।

जत्थेदार बलजीत सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि डेरा ब्यास प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों के प्रति उनका गहरा प्रेम और सम्मान है। उन्होंने कहा कि जब भी बाबा गुरिंदर इस क्षेत्र में पधारते हैं, वह उनसे मिलना नहीं भूलते। उनका यह आत्मीय संबंध सिख समुदाय के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। बलजीत सिंह के अनुसार, सिख धर्म का प्रचार-प्रसार और इसकी सच्चाई का प्रचार करना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है।

इस तरह के कार्यक्रम न केवल श्रद्धालुओं को एक साथ लाते हैं, बल्कि सिख धर्म की धरोहर को संजोने और उसकी वास्तविकता को साझा करने का एक मंच प्रदान करते हैं। संत बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों की उपस्थिति से श्रद्धालुओं का उत्साह और भी बढ़ गया। यह न केवल एक धार्मिक आयोजन था, बल्कि यह एक ऐसा अवसर था जहाँ सिख समुदाय ने अपने विश्वास और परंपराओं को साझा किया। इससे यह साबित होता है कि सिख धर्म में सेवा, भाईचारा और प्रेम का भाव हमेशा जीवित रहेगा।

गुरुद्वारा गुरु ग्रंथसर दादू साहिब का यह कार्यक्रम अब सिखों के बीच स्थायी रूप से अंकित हो गया है। संत बाबा गुरिंदर सिंह और जत्थेदार बलजीत सिंह की मुलाकात ने यह सुनिश्चित किया कि सिख धर्म की नींव और भी मजबूत होगी और यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा।