बरनाला में आम आदमी पार्टी (AAP) ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन प्रधान रूप से डॉ. भीमराव अंबेडकर पर अमित शाह द्वारा की गई असंसदीय टिप्पणी के खिलाफ किया गया। प्रदर्शनकारियों ने पहले पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में एक धरना दिया, इसके बाद टच दफ्तर तक एक रोष मार्च निकाला। इस दौरान गृहमंत्री की टिप्पणी को शर्मनाक और निंदनीय बताते हुए देश की लोकतांत्रिक संस्कारों पर प्रश्न उठाया गया।
AAP विधायक कुलवंत सिंह पंडोरी और लाभ सिंह उगोके ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह का डॉ. अंबेडकर के बारे में की गई टिप्पणी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन लोगों ने स्पष्ट किया कि डॉ. अंबेडकर केवल संविधान के निर्माता ही नहीं, बल्कि देश के पहले कानून मंत्री भी रहे हैं, और करोड़ों भारतीय उन्हें ‘बाप साहेब’ के नाम से आदरपूर्वक संबोधित करते हैं। इस प्रकार के महान व्यक्तित्व के प्रति इस प्रकार की टिप्पणियां असहनीय हैं, और जो लोग ऐसा करते हैं, वे आम जनता के संवेदनाओं को समझने में असफल हैं।
AAP कार्यकर्ताओं ने गृहमंत्री की विवादास्पद टिप्पणी के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हुए ज़िला प्रशासन को राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह से आग्रह किया कि वे अपने शब्दों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगें। कार्यकर्ताओं का यह भी कहना था कि गृहमंत्री की पीढ़ी के किसी भी व्यक्ति के लिए डॉ. अंबेडकर के शिक्षा और ज्ञान का स्तर छूना भी संभव नहीं है, इसलिए उन्हें ऐसे बयानों को देने से पहले सोच विचार करने की आवश्यकता है।
आप के नेताओं ने कहा कि डॉ. अंबेडकर का जीवन और उनके द्वारा रचित संविधान आज सभी भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। इस प्रकार की टिप्पणियों से न केवल डॉ. अंबेडकर की गरिमा को ठेस पहुंची है बल्कि यह हमारे संवैधानिक मूल्यों की भी अवहेलना है। प्रदर्शन में शामिल कार्यकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि उनके खिलाफ इस प्रकार की दुर्भावनापूर्ण टिप्पणियों का कड़ा विरोध होना चाहिए, जिससे कि भविष्य में इस प्रकार के बयानों पर रोक लगाई जा सके।
आम आदमी पार्टी का इस प्रदर्शन का उद्देश्य न केवल डॉ. अंबेडकर की विरासत को सुरक्षित रखना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि ऐसे अनुदेशों से नागरिक अधिकारों की रक्षा की जा सके। कार्यकर्ताओं ने कहा कि इस प्रकार की कार्रवाई न केवल राजनीतिक असंतोष दर्शाती है, बल्कि यह समाज में व्याप्त असमानता और अन्याय के खिलाफ भी एक सशक्त आवाज है। यह आंदोलन एक संकेत है कि आम जनता अपनी मूल्यों के प्रति सजग है और किसी भी प्रकार की अपमानजनक टिप्पणी को बर्दाश्त नहीं करेगी।