चंडीगढ़ में हंगामा: 5 मंत्री गिरफ्तार, एक घायल; पुलिस ने चला दी वाटर कैनन!

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पंजाब में धान की लिफ्टिंग के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी (आप) ने बुधवार को चंडीगढ़ में केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान, आप के कई नेता और समर्थक सेक्टर-37 में स्थित पंजाब बीजेपी कार्यालय का घेराव करने के लिए इकट्ठा हुए। हालांकि, पुलिस ने उन्हें रोका, और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। इसके परिणामस्वरूप, आप के छः मंत्रियों, कई विधायकों और समर्थकों को हिरासत में लिया गया। इस दौरान मंत्री हरजोत सिंह बैंस भी घायल हो गए, और उनकी पगड़ी भी गिर गई। दूसरी ओर, केंद्र सरकार के राज्यमंत्री और बीजेपी नेता रवनीत सिंह बिट्‌टू ने इस प्रदर्शन को एक ड्रामा बताया और आरोप लगाया कि यदि पंजाब सरकार समय पर उचित कदम उठाती, तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती।

आप नेताओं और समर्थकों ने सुबह से ही बत्रा सिनेमा के पास एकत्रित होकर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रोष रैली निकाली। सभी नेताओं ने इस रैली को संबोधित किया और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। इसी बीच पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रखी थी और जैसे ही प्रदर्शनकारियों ने आगे बढ़ने का प्रयास किया, पुलिस को मजबूरन अपना बल प्रयोग करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड पार करने की कोशिश की, जिसके चलते पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर थाने भेजना शुरू किया।

आप की ओर से प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे मंत्रियों में हरभजन सिंह ईटीओ, लाल चंद कटारूचक, कुलदीप सिंह धालीवाल, लाललित भुल्लर, तरुणप्रीत सिंह और हरजोत बैंस शामिल थे। हरभजन सिंह ने कहा कि यदि केंद्र ने धान की लिफ्टिंग में तेजी नहीं दिखाई, तो उनका प्रदर्शन और भी तेज होगा। लाल चंद भुल्लर ने भी किसानों की परेशानियों का जिक्र करते हुए कहा कि यदि जरूरत पड़े, तो वे अपनी जान तक देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसान परेशानी में हैं, तो मंत्रियों का कोई मतलब नहीं रह जाता।

आम आदमी पार्टी के नेताओं ने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार धान की लिफ्टिंग के मामले में गंभीर रही है। सांसद मलविंदर सिंह ने जानकारी दी कि खाद्य आपूर्ति विभाग ने मार्च से लेकर अब तक 15 पत्र केंद्र सरकार को लिखे हैं, लेकिन इसके बावजूद केंद्र ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस दौरान, पंजाब मुख्यमंत्री ने भी केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की है।

इस समय पंजाब बीजेपी भी इस मुद्दे पर सक्रियता दिखा रही है, जिसमें दोनों पार्टियों के नेता किसानों को अपनी ओर लाने की कोशिश कर रहे हैं। इसे आगामी 13 नवंबर को होने वाले उपचुनावों से भी जोड़ा जा रहा है।

इस स्थिति से स्पष्ट होता है कि धान की लिफ्टिंग का मुद्दा पंजाब के राजनीतिक परिदृश्य में काफी महत्वपूर्ण बन चुका है, और इसके समाधान के लिए दोनों राजनीतिक दलों की ओर से प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है।