नर्मदापुरम़ 9 नवंबर (हि.स.)। जिले की सोहागपुर एकमात्र सीट है जो वर्ष 1957 में कांग्रेस प्रत्याशी नारायणसिंह ने सर्वाधिक मत 11289 प्राप्त कर जीती और उनके निकटतम प्रतिद्धन्दी मन्जाबाई तथा प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के प्रेमविजयशाह उमराहशाह की करारी हार दी थी उसके बाद जयप्रकाश नारायण एवं आचार्य नरेन्द्र देव की प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी विनय कुमार दीवान ने वर्ष 1962 में कॉग्रेस के नन्हेलाल लोहार को 5843 वोटों से, वर्ष 1967 में कॉग्रेस प्रत्याशी टी कटकवार को 14461 मतों से एवं तीसरी बार वर्ष 1972 में उमेश कुमार पालीवाल को 23507 मत प्राप्त कर शिकस्त दी। वहीं वर्ष 2008 से लगायत 2018 तक भाजपा के उम्मीदवार विजयपाल सिंह जीत अर्जित करते आ रहे है, इस प्रकार यह सोहागपुर सीट 3 बार प्रजा सोसलिस्ट पार्टी एवं 3 बार भाजपा के पक्ष में रही है, पहली बार कॉग्रेस प्रत्याश की जीत हुई थी। जबकि वर्ष 1972 से 2008 तक विलोपित रहीं जिसके स्थान पर सिवनीमालवा एवं इटारसी विधानसभाए अस्तित्व में आई, जिसमें इटारसी को हटाकर पुनः 2008 में सोहागपुर विधानसभा स्थान पा सकी।
देखा जाये तो जिले में वर्ष 1951 मे पिपरिया, सोहागपुर, होशंगाबाद एवं हरदां 4 विधानसभा सीटे थी जिसमें वर्ष 1957 में इटारसी को शामिल करने से 5 विधानसभा सीटे तथा वर्ष 1962 में परीसीमन के बाद टिमरनी विधानसभा जोड़ते हुए सोहागपुर विधानसभा का नाम बदलकर देनवा विधानसभा कर 6 विधानसभा सीटें की गयी। नर्मदा के सपूत विनयकुमार दीवान को देनवा के गॉधी की पहचान कांग्रेस सेेनहीं मिली बल्कि जयप्रकार नारायण एवं आचार्य नरेन्द्रदेव की प्रजा सोसलिस्ट पार्टी में उनकी उपलब्धियों के कारण मिली, जिसे विनयकुमार दीवान के जीवन काल में यह यह उपलब्धि छील ली गयी, और जिला शांत रहा। श्री दीवान के जीवनकाल में उनकी पहचान सोहागपुर विधानसभा को ‘‘देनवा‘‘विधानसभा नाम से वर्ष 1967 एवं 1972 तक यथावत रखा बाद में वर्ष 1977 में परिसीमन में समाप्त कर देनवा सीट को समाप्त कर नई सीट सिवनीमालवा बनायी गयी, शेष सीटे वर्ष 1998 तक यथावत रही।
वर्ष 2008 में पुनः परीसीमन के बाद इटारसी विधानसभा सीट को समाप्त कर पुनः देनवा सीट को पुराने नाम सोहागपुर विधानसभा नाम से शामिल कर पिपरिया, होशंगाबाद एवं सिवनीमालवा 4 सीटें की गयी जो वर्ष 2013, 2018 एवं 2023 के चुनाव में भी बरकरार है और सोहागपुर सीट पर 2008 से लगायत 2018 तक भाजपा के विजयपाल सिंह चुनाव जीतते आ रहे है, जिनपर बाहरी प्रत्याशी होने का आरोप लगने के साथ जनता उन्हें चुनते आ रही है। गूजर बाहुल्य सोहागपुर में गूजर प्रत्याशियों की को गूजर ही आपसी मनमुटाव के तहत हराते रहे है जिसमें वर्ष 2008 में अस्तित्व में आयी इस सोहागपुर सीट पर 14 प्रत्याशी मैदान में रहे जिसमें कॉग्रेस के मेहरबान सिंह पटेल 40037 मत प्राप्त कर सके और भाजपा के विजयपाल सिंह 56578 मत पाकर 16541 मतों से विजयी हुए।वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में कॉग्रेस के रनवीर सिंह गालचा का कड़ा मुकाबला भाजपा के विजयपाल सिंह था जिसमें 12 प्रत्याशी प्रतिद्वन्दी होने के बाबजूद पूर्व में चुनावी रणनीति तैयार कर चुके विजयपाल इस बार दुगुनी वोटों से 28891 मतों से विजयी हुए और रणवीर सिंह गालचा को 63968 एवं विजयपाल को 92859वोट प्राप्त हो सके।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष पुष्पराज पटेल इस मुकाबले पार्टी की ओर से चुनाव मैदान में है और उनके प्रतिद्वन्दी विजयपाल 3 बार का चुनाव जीतने का अनुभव रखते है इसलिये पॉसे उनके कब्जे में है। हमेशा की तरह कॉग्रेस को हराने का काम खुद कॉग्रेसियों ने किया है, वे विजयपाल के सामने खुलकर मुकावला नही कर रहे है, सतपाल पलिया टिकिट न मिलने से पिपरिया में सिमिट कर रह गये है, वे नहीं चाहते कि पुष्पराज जीते और आगामी समय में उनका नम्बर कट जाये, इसलिये वे सोहागपुर से दूर हो गये, कॉग्रेस नेत्री सविता दीवान शर्मा की इस सीट पर पकड़ थी, परन्तु उन्होंने कॉग्रेस को टाटा कर बीजेपी में शामिल हो गयी है। इस तरह देखा जाये तो सोहागपुर विधानसभा पर आजादी के बाद दूसरा कॉग्रेसी उम्मीदवार जीत के कापी पीछे है, अगर गुर्जर समाज एक जुट हो जाती है तो सारे समीकरण बदल सकते है, पर ऐसा होता नहीं दिखता है इसलिये जनता में चुप्पी है और राजनीतिज्ञ कयास लगा रहे है कि भाजपा का कमल मुरझायेगा या पुष्पराज पटेल की शिकस्त होगी।